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( १९ ) भोगोपभोगव्रतके अतिचार शिक्षाव्रतका स्वरूप और भेद देशावकाशिकशिक्षाव्रतका स्वरूप व उसका महत्त्व देशावकाशिकवतके अतिचार सामायिक शिक्षाव्रतका विस्तृत वर्णन प्रोषधोपवास शिक्षाव्रतका विस्तृत वर्णन प्रोषधोपवासवतके अतिचार अतिथि संविभागवतका विस्तृत वर्णन पात्र-अपात्रादिका स्वरूप अतिथिसंविभागवतके अतिचार वैयावृत्य करना भी उक्त व्रतके ही अन्तर्गत है चारों प्रकारके दानमें प्रसिद्ध पुरुषोंका नाम-निर्देश प्रतिदिन नियम पूर्वक कुछ दान करनेका उपदेश
आशाधर-प्रतिपादित दिनचर्याके पालनेका निर्देश पंचम अधिकार
सामायिक प्रतिमाका स्वरूप प्रोषधप्रतिमाका स्वरूप सचित्तत्याग प्रतिमाका स्वरूप रात्रिभक्त त्याग प्रतिमाका स्वरूप ब्रह्मचर्य प्रतिमाका स्वरूप ब्रह्मचारीको त्यागने योग्य अन्य कार्योंका निर्देश आरम्भत्याग प्रतिमाका स्वरूप परिग्रहत्याग प्रतिमाका स्वरूप एवं गृहभारसे मुक्त होनेका निर्देश अनुमतित्याग प्रतिमाका स्वरूप गृहत्याग करते हुए सबसे क्षमा याचना करे उद्दिष्टत्याग प्रतिमाके दोनों भेदोंका विस्तृत वर्णन साधकका स्वरूप, नैष्ठिकताका उपसंहार
प्राण-नाश होने पर भी व्रत-भंग नहीं करनेका निर्देश षष्ठ अधिकार
अणुव्रतोंके रक्षणार्थ पाँचों समितियोंका स्वरूप गृह-व्यापार-जनित हिंसाके परिहारके लिए प्रायश्चित्तका विधान ब्रह्मचारी, गृही, वानप्रस्थ और भिक्षु इन चार आश्रमोंका स्वरूप श्रावकके इज्या, वार्ता आदि षट् कर्मोंका विधान अरिहन्तदेव और उनकी अखंडित प्रतिमाएं ही पूज्य हैं सिद्ध, साधु, धर्म और श्रुतकी पूज्यताका वर्णन
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