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बादिवासियों के बीच
'क्यों नहीं ?'
भने एक-एक कर अपने प्रश्न प्रस्तुत किए। मेरा पहला प्रश्न था, 'महावीर आदिवासी क्षेत्रों में कितनी बार गए ?'
को बार गए। 'विम समय ?' 'पहली बार साधना के पांचवें वर्ष में और दूसरी बार नवें वर्ष में।" 'किन प्रदेश में घूमे ?' 'लाट देश ये वनभूमि और मुम्हभूमि-इन दो प्रदेशों में । कहां रहे ?' 'कभी पर्यंत मी कंदराओं में, कभी गंडहरों में और बहुत बार पेड़ों के नीचे।' 'तब तो उन्हें काफी माठिनाइयों का नामना करना पड़ा होगा?'
'पया पूछने हो, वह पर्वताकोणं प्रदेश है। यहां मर्दी, गर्मी और व तीनों बत होती है।'
'मा भगवान् तीनों अतुओं में वहां रहे हैं ?'
'भगवान् का पहला विहार हुआ तब मर्दी का मौसम पा। दूसरे बिहार में गर्मी और कर्मा-दोनों अनुमों ने उनका आतिथ्य किया।'
‘गया उनका पाला प्रवाग दूसरे प्रवाम गे घोटा था ?'
'दूगरा प्रवास रा मास मा था।' पहना प्रधान दो-तीन माम में अधिक मी रहा।"
"आदिवानी लोगों का व्यवहार गाहा ?'
"उर प्रदेश में मिल नही होते थे। गाएं भी बात काम भी। जो थी, उनके भी दावत गाम होता था। यहां कपाग नहीं होती पी। आदिवानी घाग में प्रावरण मोदी पहनते थे। उनका भोजन व्यापा-पी और गल ने रहित । वहां के हिमा .कालीन भोजन में अमरममाप टंडा भालगाते थे। उनमें नमक नालापा ! गाना के भोजन में भारत और मान पाते थे। इसी भोजन ने पार पलोधी । दान-दान पर नहने गहने रहते हैं। गाली देना और मारना-पोटगा उनके लिए मर र बनजंगा था। मनमान् एक नांद का सामामो लोगों ने
पाकिसलिए मारे गांव में जा
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नरः