Book Title: Shraman Mahavira
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 379
________________ ६३ ६५-६७ ६८, ६९ ७०,७१ ७६ ७५ ७७ ওও २३. मधुकरों का उत्पात २४. युवकों द्वारा गन्ध-चूर्ण की याचना २५. सुन्दरियों द्वारा काम-याचना २६. श्यामाक वीणावादक २७. नट का अनुरोध २८. पूर्णकलश में अपशकुन २९. लुहार की शाला में ३०. भगवान् की नौका यात्रा, सेनापति चिन का आगमन ३१. स्वप्न-दर्शन और उत्पल ३२. आनन्द का भविष्य-कथन ३३. अच्छंदक के छद्म का उद्घाटन ३४. सिद्धदत्त नाविक ३५. हलेदुक गांव में ३६. श्वेतव्या में राजा प्रदेशी ३७. वग्गुर दंपती ३८. भगवान् वैशाली में ३९. सोमा और जयंती परिव्राजिकाओं का सम्पर्क ४०. मेघ और कालहस्ती ४१. कूपिय सन्निवेश में बंदी ४२. लोहार्गला में बंदी ४३. तोसली में चोरी का आरोप ४४. मोसली में चोरी का आरोप ४५. तोसली में चोरी का आरोप और फांसी का दंड ४६. चंदनबाला ४७. जंभियग्राम में ४८. इन्द्रभूति आदि की प्रव्रज्या ४९. गोशालक का भगवान के लिए भोजन लाने का आग्रह और लोहार्य की नियुक्ति ५०. मेघकुमार का विचलन ५१. सिन्धु-सौवीर में गमन ५२. स्वातिदत्त से वार्तालाप ५३. गोशालक का पापित्यीय श्रमण नंदिषेण से मिलना ५४. केशी-गौतम का मिलन ५५. भगवान् से गोत्र आदि विषयक प्रश्नोत्तर ७८,७९ ९२, ९३ ९४-१०० १०९ १११, ११२ ११७ १२१, १२२ १२४ १३१, १३२ १३५

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