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मुक्त मानस : मुक्त द्वार
सामने की दीवार पर घड़ी है। उसमें नौ बजे हैं। क्या सब घड़ियों में नो ही बजे हैं ? यह सम्भव नहीं है । कोई दो मिनट आगे है तो कोई दो मिनट पीछे है। काल एक गति से चलता है । उसका प्रवाह न रुकता है और न त्वरित होता है। वह सदा और सर्वत्र अपनी गति से चलता है। ___घड़ी काल नहीं है। वह काल की गति का सूचक-यंत्र है। यंत्र कभी शीघ्र चलने लगता है और कभी मंद । यह गति-भेद. इस सत्य की सूचना देता है कि काल और घड़ी एक नहीं है।
धर्म और धर्म-संस्थान भी एक नहीं हैं। धर्म सत्य है । सत्य देश और काल से अबाधित होता है। देश बदल जाने पर धर्म नहीं बदलता। जो धर्म भारत के लिए है, वही जापान के लिए है और जो जापान के लिए है, वही भारत के लिए है। भारत और जापान के धर्म दो नहीं हो सकते । जो धर्म अतीत में था, वही आज है और आने वाले कल में भी वही होगा। काल बदल जाने पर धर्म नहीं बदलता।
प्यास लगती है और हम पानी पीते हैं। प्यास लगने पर हम पानी ही पीते हैं, रोटी नहीं खाते । यह क्यों ? इसका हेतु निश्चित नियम है। पानी पीने से प्यास बुझ जाती है, हर देश में और हर काल में । यह नियम देश और काल से बाधित नहीं है इसलिए यह सत्य है।
___ मन अशान्त होता है, तब हम धर्म की ओर झांकते हैं। मन की अशान्ति मिटाने के लिए हम धर्म की ओर ही झांकते हैं, 'धन की ओर नहीं झांकते। यह क्यों ? इसका हेतु निश्चित नियम है । धर्म की अनुभूति से मन की अशान्ति मिट जाती है, हर देश में और हर काल में । यह नियम देश और काल से बाधित नहीं है इसलिए यह सत्य है।
सत्य एकरूप होता है । यह श्रमणों का सत्य और यह वैदिकों का सत्य-यह