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बौद्ध साहित्य में महावीर
बौद्ध पिटकों में भगवान महावीर सिद्धान्तों का बार-बार उल्लेग हुआ है। उन सबमें भगवान महावीर के जीवन और मिशान्तों का आकर्षण दिगलाने का प्रयत्न है। यह उस समय की शैली या माम्प्रदायिक मनोति । इनकी उपेक्षा की जा सकती हैं, किन्तु पिटर नाहित्य में भगवान महावीर के विषय में गुएनध्य सुरक्षित है, उनकी उपेक्षा नारी की जा सकती। वे बाल मनापूर्ण है। उनमें भगवान महावीर से बिहार और सिद्धान्तों को बारे में कुछ न जानकारी मिलती
भगवान महावीर प्रक्षा की अपेक्षा ज्ञान को अधिक महत्व देते थे।
उस समय निगंट नातपुत्त गदिमागण्ड में अपनी बड़ी माली के माय पाबाबा था।
गरपति निर ने गुना कि नियंत नारान मन्दियामय में ठ प हैं। पिवाद मानमो नाम कहां पहुंगा और पुगन-क्षेम पूछार एप. गोर बंट
और रेमगिर निगंड नागपून दोना-"पनि तुरें पता मानि समा गौतम योगी आदितम-शविचार नमाधि चपनी ? म. रई. और विधानमा गया नियोजना'
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- मरद, : Re: SETT