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श्रमण महावीर
कहा-'भंते ! मेरे मन की गुह्य बात किसने बताई ?' 'भगवान् महावीर ने'सिंह ने उत्तर दिया। रेवती ने भगवान् के ज्ञान को वन्दना की और बिजौरापाक मुनि को दिया । वह उसे ले भगवान् के पास गया । भगवान् ने उसे खाया। रोग थोड़े समय में शान्त हो गया । भगवान् पूर्ण स्वस्थ हो गए। भगवान् के स्वास्थ्य का संवाद पाकर श्रमण तुष्ट हुए, श्रमणियां तुष्ट हुईं, श्रावक तुष्ट हुए, श्राविकाएं तुष्ट हुईं और क्या, समूचा लोक तुष्ट हो गया।
१. देखें-भगवती शतक पन्द्रहवां ।