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सह-अस्तित्व और सापेक्षता
भगवान् महावीर अहिमा के मंत्रदाता थे। भगवान् ने सत्व का पहला सा पिया सब उनके हाथ लगी महिमा और सत्य का अंतिम स्पर्श किया तब भी उनको पाप लगी महिला । घेतना-विकास के आदि-बिन्दु से परम-बिन्दु तक महिला का ही विस्तार । मह सत्य की अभिव्यक्ति पा सशक्त माध्यम है।
जीव-जगत् के सम्पर्क में अहिंसानी खाएं मंत्री का और तत्व-जगत के सम्पर्क में बनेगान्तमा चिक निर्मित पारती हैं। भगवान् के मानन से मंत्री को भारत रशियां मिलती थीं। ये मिह को प्रेममय और कगारी को अभय बना देती। भगवान् भीमनिधि में दोनों लान-पाग बंट जाते।
मा-अस्तित्व में एक उंद, एक लय और एक घर है। उसमें पूर्ण नंतुलन और मंगति को भी विगंगति नहीं है।
विगंगति का निर्माण युक्ति ने किया। भिन्नता के विरोध का सार बुद्धि नरिया तय-गुगलों का धागवानी पर्नुन । उनमें मद-जगत् नित्य-अजिन्य, पाण-मिगत, नाच-अपार अनन्त मुगल है। न गुगलों का मालिन
___ अगदान में प्रतिपादित रिया--कोई भी दतु देवान गण या वन अमात् नोहमा और असत्-न दोनों धमोकामा-अस्लिल को भी बन्द
पल किसान अनिल की। पानि और अनियन पोलो धनों
मामला करदारभी-भी नगगन चोदा मीदोई। एदार बोला