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शान्ति का मिहनाद
१६६ पूनिया ने विनम्रता के साथ ननाद का प्रस्ताव लौटा दिया। अपनी जास्मिक साधना का सौदा उसे मान्य नहीं हुआ। ____ 'पूनिया' कोई धनपति नहीं था। वह रूई की पूनिया बनाकर अपनी जीविका चलाता था। पर वह समत्व का धनी था। परिग्रह के केन्द्रीकरण में उनका विश्वास नहीं था । यह भगवान् महावीर के बल्ल-संग्रह के आन्दोलन का प्रमुख अनुयायी था।
भगवान् महावीर का असंग्रह-जान्दोलन उनके जहिना-आन्दोलन का ही एक अंग या । उनका अनुभव था कि अहिंसा की प्रतिष्ठा हुए बिना असंह की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती । संग्रह में आसक्त मनुप्य वर की अभिवृद्धि करता है। हिमागा स्वरूप अवर है । वर की वृद्धि करने वाला अहिंसा को विकसित नहीं कर सकता। जिसे मानवीय एकता की अनुभूति नहीं है, दूसरों के हितों के अपहरण में सपने हितों के अपहरण की अनुभूति नहीं है । वह नसंबह का आवरण नहीं कर सकता। व्यवस्था की बाध्यता से व्यक्ति व्यक्तिगत स्वामित्व को छोड़ देता है । वह अदभुत नामाजिक परिवर्तन विगत कुछ शताब्दियों में घटित हुआ सामाजिक परिवर्तन है। किन्तु सुदूर अतीत में व्यक्तिगत स्वामित्य के समीकरण की विमा का उद्गाटन महावीर के असंग्रह आन्दोलन की महत्त्वपूर्ण घटना है।