Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan
View full book text
________________
कमलाय कमलाभ्याम् कमलात् कमलाभ्याम् कमलस्य - कमलयोः कमले कमलयोः
कमलेभ्यः कमलेभ्यः कमलानाम् कमलेषु
ष०
स०
सं०
हे कमल !
हे कमले !
हे कमलानि !
सारीते कङ्कण, अम्बर, मुख, स्वप्न, क्षीर, नेत्र, जल, उदर, औषध फल विगेरे अकारान्त शहोना ३५ो थशे.
द्वि० माम्मा
(३) 'अस्मद्' सर्वनाम (अलिङ्ग) [५u. 27] प्र०. अहम् आवाम् वयम्
आवाम्-नौ अस्मान्-नः तृ० मया . आवाभ्याम् अस्माभिः च० मह्यम्-मे आवाभ्याम्-नौ अस्मभ्यम्-नः पं० मद् आवाभ्याम् अस्मद् ष० मम-मे आवयोः-नौ अस्माकम् नः स० मयि आवयोः
अस्मासु (४) 'युष्मद्' सर्वनाम (अलिङ्ग) [.. 27] प्र० त्वम् युवाम्
શબ્દ-રૂપાવલી. 06-३पापली
यूयम्
-
-
Jain Education International 2500 Pobrate & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128