Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan
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च० मालायै
मालाभ्याम् मालाभ्यः मालायाः मालाभ्याम् मालाभ्यः
मालायाः मालयोः मालानाम् स० मालायाम् मालयोः
मालासु सं० हे माले ! हे माले ! हे मालाः ! मा शते. अङ्गना क्रीडा, गंङ्गा, छाया, देवता, पाठशाला, वसुधा, मक्षिका सभा, तृष्णा, निशा विगेरे आकारान्त
શબ્દોના રૂપો થશે. (९) । (.. क्त प्रत्ययान्त जि + त = जित पुंलिङ्ग (बालवत्) [. 33] प्र० जितः
जिताः द्वि० जितम् तृ० जितेन जिताभ्याम् च० जिताय जिताभ्याम् जितेभ्यः पं० जितात् जिताभ्याम् जितेभ्यः
जितस्य जितयोः जितानाम् स० जिते जितयोः
जितेषु सं० हे जित ! हे जितौ ! हे जिताः !
जितौ
जितौ
जितान्
जितैः
શબ્દ-રૂપાવલી
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