Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan
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सृतेषु
सृते
ष० सृतस्य सृतयाः सृतानाम् स० सृते सृतयोः सं० हे सृत ! हे सृतौ ! हे सृताः ! (१४) गत्यर्थे तरि (भूतन्त (क्त प्रत्ययान्त) सृ + त = सृत - नपुं. (कमलवत्)
[. 33] प्र० सृतम् द्वि० सृतम् सृते तृ० सृतेन सृताभ्याम् सृताय
सृताभ्याम् सृतेभ्यः पं० सृतात् सृताभ्याम् सृतेभ्यः ष० सृतस्य
सृतानाम्
सृतेषु सं० हे सृत ! हे सृते ! हे सृतानि ! (१५) गत्यर्थे उतरि भूतान्त (क्त प्रत्ययान्त) सृत + आ - स्त्रीलिङ्ग (मालावत्) [५u. 33] प्र० सृता
सृतानि सृतानि सृतैः
सृतयोः सृतयोः
सृते
सृते
सृताः
શબ્દ-રૂપાવલી
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