Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan
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सं०
हे नप्तः !
हे नप्तारौ !
हे नप्तारः !
२ रीते नेष्ट, त्वष्ट, क्षत्तृ, होतृ, पोतृ, प्रशास्तृ ना
३पो थशे.
કે
( १२३ ) तृ ( तृच् तून् ) प्रत्ययान्त विशेषण - पुंलिङ्ग' कर्तृ ' शब्द (स्वसृवत् ) [49]
प्रo कर्ता
कर्तारौ
द्वि० कर्तारम्
कर्तारौ
तृ०
कर्त्रा
कर्तृभ्याम्
कत्रे
कर्तृभ्याम्
कर्तुः
कर्तृभ्याम्
कर्तुः
कर्त्री:
कर्तरि
कर्त्रीः
हे कर्त: ! हे कर्तारौ !
च०
पं०
ष०
स०
सं०
प्र०
कर्तृ
द्वि० कर्तृ
७०
कर्तारः
कर्तृन्
कर्तृभिः
कर्तृभ्यः
कर्तृभ्यः
नपुं.
( १२४ ) तृ प्रत्ययान्त कृदन्त 'कर्तृ ' शब्द ( वारिवत् ) [4. 49]
कर्तृणी
कर्तृणी
कर्तृणाम्
कर्तृषु
हे कर्तारः !
-
कर्तृणि
कर्तृणि
શબ્દ-રૂપાવલી
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