Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan

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Page 110
________________ प्र.पु. वन्धत कर्मणि रूप विभाग 'वन्द्' धातु १ लो गण आत्मनेपद (वहन ४२) वर्तमानकाल मे.व. वि.व. ५.व. वन्द्ये वन्द्यावहे वन्द्यामहे द्वि.पु. वन्द्यसे वन्द्येथे वन्द्यध्वे वन्द्येते वन्द्यते वन्द्यन्ते स्तन भूतकाल अवन्द्ये अवन्द्यावहि अवन्द्यामहि अवन्द्यथाः अवन्येथाम् अवन्द्यध्वम् अवन्धत अवन्द्येताम् अवन्द्यन्त विध्यर्थ काल वन्द्येय वन्द्येवहि वन्द्येमहि वन्द्येथाः वन्द्येयाथाम् वन्द्येध्वम् तृ.पु. वन्द्येत वन्द्येयाताम् वन्द्येरन् आज्ञार्थ काल प्र.पु. वन्द्यै वन्द्यावहै वन्द्यामहै वन्द्यस्व वन्द्येथाम् वन्द्यध्वम् तृ.पु. वन्द्यताम् वन्द्येताम् वन्द्यन्ताम् ★ भए। ३५ो बनाववाना नियमो पा6-30 मा मापेला छे. धातु-३पावली 四初四 द्वि.पु. - ૯૮ Jain Education International 2800 Pobrate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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