Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan

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Page 86
________________ एकस्यै एकाभ्यः एकस्याः एकाभ्यः एकस्याः एकासाम् एकस्याम् एकासु (१३०) द्वि-शब्द (सर्ववत्) (द्विवयनमा ४ १५२राय छ ) त्रिलिङ्ग [4u. 50] विभक्ति पुंलिंग स्त्रीलिंग नपुंसकलिंग प्र० avan 11 द्वयोः द्वयोः द्वौ द्वाभ्याम् द्वाभ्याम् द्वाभ्याम् द्वाभ्याम् द्वाभ्याम् द्वाभ्याम् द्वाभ्याम द्वाभ्याम् द्वाभ्याम् ष० स० द्वयोः द्वयोः (१३१) त्रि-शब्द (त्रिमा, मडुवयनमा ४ १५२राय छ ) त्रिलिङ्ग [५. 500 विभक्ति पुंलिंग स्त्रीलिंग नपुंसकलिंग प्र० त्रयः तिस्रः त्रीणि શબ્દ-રૂપાવલી द्वयोः द्वयोः Jain Education International 2000 Pobrate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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