Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 90
________________ विभाग २ धातु स्मावली हैम-संस्कृत प्रवेशिका प्रथमानुसारिणी धातु रूपावलीस्थ धातु - संग्रह श्लोकाः अथ धातून्प्रवक्ष्यामि नमति वन्दते ईयते । 'वर्षति वर्धते नूनं भवति प्रथमे गणे ॥ १ ॥ नृत्यति दीप्यते तूर्ये स्फुटति र्दिशते षष्ठे । अर्थय- मृगयौ द्वौ च 'ते' प्रान्तौ दशमे गणे ॥२॥ चिन्तय- चोरय प्रोक्ताः तोंडय - परिय स्फुटम् । कथय मृगयैतेषु 'ति' प्रान्ते दशमे गणे ॥३॥ Jain Education International 2860 P0rate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128