Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan
View full book text
________________
च०
tio
ष०
स०
सं०
गम्यमानाभ्याम् गम्यमानेभ्यः
गम्यमानाभ्याम् गम्यमानेभ्यः
गम्यमानयोः
गम्यमानयोः
हे गम्यमान ! हे गम्यमानौ !
गम्यमानाय
गम्यमानात्
गम्यमानस्य
गम्यमाने
(६१) कर्मणि वर्तमान कृदन्त
नपुं. - 'गम्यमान' शब्द ( कमलवत्) [4. 40]
गम्यमानानि
प्रo गम्यमानम्
द्वि० गम्यमानम्
गम्यमानेन
प्र०
३४
गम्यमानानि
गम्यमानैः
तृ०
च०
गम्यमानेभ्यः
पं०
गम्यमानाभ्याम् गम्यमानेभ्यः
ष०
गम्यमानयोः
गम्यमानयोः
स०
सं० हे गम्यमान ! हे गम्यमाने !
गम्यमाने
गम्यमाने
गम्यमानाभ्याम्
गम्यमानाय गम्यमानाभ्याम्
गम्यमानात्
गम्यमानस्य
गम्यमाने
गम्यमानानाम्
गम्यमानेषु
हे गम्यमानाः
(६२) कर्मणि वर्तमान कृदन्त स्त्रीलिङ्ग'गम्यमाना' शब्द ( मालावत्) [4. 40]
गम्यमाने
गम्यमाना
गम्यमानानाम्
गम्यमानेषु
हे गम्यमानानि
Jain Education International 2860 P0rate & Personal Use Only
गम्यमानाः
શબ્દ-રૂપાવલી
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128