Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan

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Page 73
________________ कर्माणि तृ० आत्मना आत्मभ्याम् आत्मभिः आत्मने आत्मभ्याम् आत्मभ्यः आत्मनः आत्मभ्याम् आत्मभ्यः ष० आत्मनः आत्मनोः आत्मनाम् स० आत्मनि आत्मनोः आत्मसु सं० हे आत्मन् ! हे आत्मानौ ! हे आत्मानः ! (१०७) 'अन्' अंत - नपुं. कर्मन् [. 47] प्र० कर्म कर्मणी द्वि० कर्म कर्मणी कर्माणि कर्मणा कर्मभ्याम् कर्मभिः कर्मणे कर्मभ्याम् कर्मभ्यः कर्मणः कर्मभ्याम् कर्मभ्यः ष० कर्मणः कर्मणोः कर्मणाम् कर्मणि कर्मणोः कर्मसु सं० हे कर्म ! कर्मन् ! हे कर्मणी ! हे कर्माणि ! (१०८) इन्' अंत - पुंलिङ्ग 'शशिन शब्द [47] प्र० शशी शशिनौ शशिनः શબ્દ-રૂપાવલી. ६१ Jain Education International 2500 Pobrate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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