Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan

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Page 41
________________ नद्यौ नद्याः नद्योः द्वि० नदीम् नदी: नद्या नदीभ्याम् नदीभिः च० नद्यै नदीभ्याम् नदीभ्यः नदीभ्याम् नदीभ्यः ष० नद्याः नदीनाम् स० नद्याम् नद्योः नदीषु सं० हे नदि ! हे नद्यौ ! हे नद्यः ! मा रीते मैत्री, महिषी, भगिनी, नारी, मधुकरी, वगेरे. શબ્દોના રૂપો થશે. अवी-तरी-तन्त्री-लक्ष्मी-स्तरी से पांय हाई ईकारान्त શબ્દોના પ્રથમા એ.વ.માં વિસર્ચયુક્ત રૂપ બનશે अवी:-तरी:-तन्त्रीः इत्यादि. (५३) दीर्घ ऊकारान्त स्त्रीलिङ्ग - 'वधू' शब्द [39] प्र० वधूः वध्वौ वध्वः द्वि० वधूम् वध्वौ वध्वा वधूभ्याम् वधूभिः च० वध्वै वधूभ्याम् वधूभ्यः पं० वध्वाः वधूभ्याम् वधूभ्यः શબ્દ-રૂપાવલી वधूः - ૨૯ Jain Education International 2500 Pobate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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