Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan

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Page 18
________________ (१०) भू.. क्त प्रत्ययान्त जि + त = जित नपुं. (कमलवत्) [५L. 33] प्र० जितम् जिते जितानि द्वि० जितम् जिते जितानि जितेन जिताभ्याम् जितैः जिताय जिताभ्याम् जितेभ्यः जिताभ्याम् जितेभ्यः जितस्य जितयोः जितानाम् स० जिते जितयोः जितेषु सं० हे जित ! हे जिते ! हे जितानि ! जितात् जिते जिताः (११) भू..क्त प्रत्ययान्त जि+ त = जित+आ - स्त्रीलिङ्ग(मालावत्) [पा. 33] प्र० जिता द्वि० जिताम् जिते जिताः तृ० जितया जिताभ्याम् जिताभिः च० जितायै जिताभ्याम् जिताभ्यः पं० जितायाः जिताभ्याम् जिताभ्यः શબ્દ-રૂપાવલી. - Jain Education International 2500 Pobrate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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