Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan
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जितानाम्
ष० जितायाः
जितायाम् सं० हे जिते !
जितयोः जितयोः हे जिते !
जितासु
हे जिताः !
(१२) भावे. भूत. क्त प्रत्ययान्त भू + त = भूत. (मात्र - नपुं. ओ.व.)
[4l. 33] * भूतम्
सृतौ
(१३) गत्यर्थे तर भूतन्त (क्त प्रत्ययान्त) सृ + त = सृत - पुंलिङ्ग (बालवत्)
[41. 33] प्र० सृतः
सृताः द्वि० सृतम् सृतौ
सृतान् तृ० सृतेन सृताभ्याम् च० सृताय सृताभ्याम् सृतेभ्यः पं० सृतात्
सृताभ्याम् सृतेभ्यः
सृतैः
★ मापे भू.. या साथे ४ संबद्ध छ. यापहना स्थाने १५२॥4 छे.
इता गमे तट डोय तो ५९ न' (प्रथम) मे.व.मां°४ थाय.
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