Book Title: Shabdarupavali
Author(s): Rushabhchandrasagar
Publisher: Purnanand Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ च० युद्भ्यः पं० युधे युद्भ्याम् युधः युद्भ्याम् युधः युधोः युधि युधोः हे युत्, युद् ! हे युधौ ! युद्भ्यः युधाम् स० । युत्सु हे युधः ! सा रीते. आपद्, शरद, योषिद्, विद्युत्, मृद्, मुद्, विगेरे શબ્દોના રૂપો થશે. (१९) *'सर्व' सर्वनाम - पुंलिङ्ग [.. 35] प्र० सर्वः सर्वो सर्वे द्वि० सर्वम् सर्वान् तृ० सर्वेण सर्वाभ्याम् सर्वैः च० सर्वस्मै सर्वाभ्याम् सर्वेभ्यः पं० सर्वस्मात् सर्वाभ्याम् सर्वेभ्यः ष० सर्वस्य सर्वयोः सर्वेषाम् सौं * સર્વનામના રૂપોનો ક્રમ દરેક શબ્દના પું. નપું. સ્ત્રી.નો ક્રમથી સાથે समेत छ. (म-संस्कृत-प्रवेशिम 418 : 34-36) - શબ્દ-રૂપાવલી ११) Jain Education International 2500 Pobrate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128