Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 2
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad

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Page 697
________________ १५०४ शब्दरत्नमहोदधिः। [प्रपूर्वग-प्रबुद्ध प्रपूर्वग पुं. (प्रकृष्टः पूर्वगः पूर्ववर्ती) सृष्टिनी. २06 | प्रबन्धकल्पना स्त्री. (प्रबन्धस्य कल्पना रचना) थो.30 डोना२-५२मे.व.२, पडु ५il. (पुं. द्वि. प्रकृष्टौ સાચી-ઘણે ભાગે ખોટી એવી કથા-વાત, કાદંબરી पूर्वगौ) ५२मे श्व.२३पे. ध्यान. ४२वा योग्य से. वगे३ इल्पित वाता- प्रबन्धकल्पनां स्तोकसत्यां प्राज्ञाः અશ્વિનીકુમાર દેવો. कथां विदुः-कोलाहलाचार्यः । प्रपौण्डरीक पुं. (पुण्डरीक+स्वार्थेऽण, प्रकृष्टं तदिव प्रबन्धन न. (प्र+बन्ध+ल्युट) viaj, २५j, Yथ. पुष्पं यस्य) मे तनी क्षु५ वनस्पति ३७ ते मांध, धन, 8. पुरी- प्रपौण्डरीकं मधुकं समङ्गां धवमेव च प्रबर्ह त्रि. (प्र+बह-स्तुतौ वृद्धौ वा अच्) प्रधान, सुश्रुते । भुज्य, श्रेष्ठ प्रपौण्डरीकाद्य (न.) वैध प्रसिद्ध में औषधि३५ प्रबल त्रि. (प्रकृष्टं बलमस्य) अत्यन्त जवान, घu तेस. सामथ्र्यवाणु, भोराव२- प्रबलपुरोवातया वृष्ट्या - मालवि० ४।२। -प्रबलामात्मकृतेन वेदनाम्प्रपौत्र पुं. (प्रगतः कारणतया पौत्रम्) पुत्रना पुत्रना रघु० ८।५० (न. प्रकृष्टं बलति, बल. प्रपौत्री स्री. (पौत्रस्य कन्या, प्रपौत्र+ङीप्) छोराना धान्यावरोधे+अच्) ५.८स, डूं५५. | प्रबलता स्त्री.. प्रबलत्व न. (प्रबलस्य भावः तल+टापछोरा छोरी. त्व) अत्यन्त जवान, भतिशय ठराव.२५. प्रप्यान त्रि. (प्रकृष्टं प्यानम्) ई, 426, शुष्टपुष्ट- प्रबला स्त्री. (प्रकृष्टं बलमस्याः) मे तनी. वस.. स्थूल. प्रबाधन न. (प्र+बाध्+ ल्युट्) पी.उन, प्रत्याया२, प्रफर्व (त्रि.) श्रेष्ठ तिवाj. અસ્વીકાર, દૂર રાખવું તે. प्रफर्वी स्त्री. (प्रकृष्टं पर्व नितम्बस्थानं यस्याः, स्त्रियां प्रबाल न. (प्र+बल् धान्यावरोधे+ण) नवपल्लव, डूं५॥ डीप्+पृषो.) श्रेष्ठ नितनवाणी. स्त्री.. -पुष्पं प्रवालोपहितं यदि स्यात् मुक्ताफलं वा प्रफुल्त, प्रफुल्ल त्रि. (प्र+फुल+क्त/प्र+फुल्ल विकाशे स्फुटविद्रमस्थम्-कुमा० ११४४। वीनो ६ist. अच्) प्रमुख-वि.४२५२, जीसस पूरा विसेस- लोध्रद्रुमं (पुं. प्र+बल्+ण) में तनु रत्न, ५२वाणु. सानुमतः प्रफुल्लम्-रघु० २।२९।। प्रबालक पुं. (प्रबाल संज्ञायां कन्) ते. नमानी से प्रफुल्लनेत्र त्रि. (प्रफुल्ले नेत्रे यस्य) वि. Himalj, यक्ष. હર્ષના કારણે પ્રફુલ્લ નેત્રવાળું. प्रबालफल न. (प्रबाल इव रक्तं फलमस्य) राता प्रफुल्लि स्री. (प्र+फुल+क्तिन्) vaj, विसित. थj, यहनन 3. પુષ્પિત થવું. प्रबालवत त्रि. (प्रबाल+अस्त्यर्थे मतुप मस्य वः) नव · प्रबद्ध त्रि. (प्र+बन्ध्+क्त) uiJj. iपायेj, j, અંકુરવાળું, નવા પલ્લવવાળું, કૂંપળવાળું. सवरुद्ध, 12वेj. प्रबालाश्मन्तक पुं. (प्रबाल इवाश्मन्तकः रक्तत्वात्) रात अश्भन्त-मासोहरो-४वी नामे वृक्ष. प्रबद्ध पुं. (प्र+बन्ध्+तृच्) 2.5t२, प्रोत, २ययित. प्रबन्ध पुं. (प्र+बन्ध्+भावे घञ्) संह, अंथ वगैरेनी प्रबालिक पुं. (प्रबालो नवपल्लवोऽस्त्यस्य भूम्ना ठन्) मे तन us- जीवशाक । २यना, आ3 म., नि.cu, विछिनता, सातत्य, प्रबाहु पुं. (प्रगतो बाहुम्) पार्नु भूण-डायनो भूण विच्छिन्न ५२५२५- विच्छेदमाप भुवि यस्तु कथा प्रदेश -मुखं बाहुप्रबाहू च मनः सर्वेन्द्रियाणि चप्रबन्धः-का० २३९ । -क्रियाप्रबन्धादयमध्वराणाम्- रघु० विष्णुपु० ५।५।१९। ६।२३। संगत अथवा अविच्छिन्न अवयन-वन- | प्रबाहुक, प्रबाहुक् अव्य. (प्रकृष्टो बाहुरत्र कप, पृषो.) अनुज्झितार्थसंबन्धः प्रबन्धो दुरुदाहरः-शिशु० २७३। सम., स.२५ णे, , . डाव्य.२यन। -प्रथितयशसां भासकविसौमिल्ल- | प्रबुद्ध त्रि. (प्र+बुध+कर्तरि क्त) गेस- प्रातस्तरां कविमिश्रादीनां प्रबन्धानतिक्रम्य-मालवि० १। - प्रतत्रिभ्यः प्रबुद्धः प्रणमन् रविम् -भट्टि० ४।१४ । प्रत्यक्षरश्लेषमयप्रबन्धः- वासवदत्ता । बोध पामेल, विद्वान- प्रबुद्धपुण्डरीकाक्ष बालातपनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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