Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 2
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
View full book text ________________
१६२४ शब्दरत्नमहोदधिः।
[भीमादि-भुक्तभोग भीमादि (पुं.) नीय. व्या४२५५' प्रसिद्ध में श६५L | भीलुक, भीलूक पुं. (भी+क्लुकन्/भीलुक पृषो. दीर्घः)
स च-भीम, भीष्म, भयानक, वाह, चरु, प्रस्कन्दन, ७. प्रपात, समुद्र, स्नुव, स्नुक, दृष्टि, रक्षः, शकु, भीषक त्रि. (भीषयते, भी+णिच्+सुक्+ण्वुल्) भय॥२६. सुक, मूर्ख, खलति ।
भीषण पुं. (भीषयते, भी+णिच्+सुक्+ल्यु) भयान भीमादेवी स्त्री. (भीमाख्या देवी) हुवा- . भूति- स, कुन्दुरुक वृक्ष, हिन्ताल वृक्ष, सेंal ul,
भीमादेवीति विख्यातं तन्मे नाम भविष्यति- महावि, डोतो. (त्रि. भीषयते, भी+णिच् + ल्यु मार्कण्डेयपु० ।
षुगागमश्च) ६२, मयं5२- बीभ्युबिडालेक्षणभीषणाभ्यःभीमैकादशी स्री. (भीमेन उपास्या एकादशी शाक. शिशु० ३।४५। Juढ (न.) मायने उत्तेहित ६२नारी त.) महा मलिनानी सुह मनियार, भीम
वस्तु. सगिया२श.
भीषा स्त्री. (भी+णिच्+सुक्+भावे अ+टाप्) भय भीरु त्रि. (बिभेति, भी+क्रु) ., भयभीत- 'अयं बतावो, भय धमtaal.
स ते तिष्ठति सङ्गमोत्सुको विशङ्कसे भीरु ! | भीषित त्रि. (भी+णिच्+क्त, षुकागमः) उरेल, बासेयो. यतोऽवधीरणाम्' -शाकुन्तले । (पुं. बिभेति, भी- भीष्म न. (भी+णिच्+सुक् अपादाने मक्) भयान भये+ क्रु) शियाण, वाघ, में तना. शेली- २२. (त्रि.) भयान, भयं.४२, वि.४२।. (पुं. बहुपुत्री वरा भीरू: शतमूली शतावरीधरणिः । बिभेत्यस्मात्, भी+मटुक्) द्र, राक्षस, शान्तनु (स्री.) शतावरी वनस्पति, मोशए0, Adult पुत्र-भीष्म पितामह- 'हते भीष्मे हते द्रोणे शल्ये च वनस्पति, छाया, स्त्री- क्षान्त्या भीरु:-हितो० २।२६।। निधनं गते' -महाभारते । नारी.
भीष्मक पुं. (भीष्म+के+क भीष्म+कन्) श्री. नी. भीरुक पुं. (भी+क्रुकन्) शियाण, पाच, सातनी. પત્ની રુક્મિણીના પિતા (વિદર્ભના રાજવી.) શાંતનુનો.
शी- पौण्ड्रको भीरुकश्चैव वंशकः शतपोरक:- ગંગાથી ઉત્પન્ન પુત્ર. सुश्रुते ४० अ० । (त्रि. बिभेति, भी-भये+क्रुकन्) भीष्मकेशव (पुं.) 10 प्रसिद्ध शवनी भूति. भयवाणु, ul.se, भयशील. (न. भीरु+संज्ञायां कन्) भीष्मगन्धक पुं. (भीष्मः गन्धो यस्य कप्) मे वन, १२५य.
तनुं दूसॐ. भीरुकच्छ (पुं.) ते ना. मे. १२.
भीष्मजननी, भीष्मसू स्त्री. (भीष्मस्य जननी/भीष्मे भीरुचेतस् पुं. (भीरु चेतो यस्य) भृ. (त्रि.) भयभीत ___ सूते, सू+क्विप्) diu-भीमनी माता. __ भनवापुं.
भीष्मपञ्चक न. (भीष्मेण प्राप्तं उपदिष्टं वा पञ्चकम्) भीरुता स्री., भीरुत्व न. (भीरोः भावः तल्+टाप्- કાર્તિક સુદ અગિયારસથી પાંચ તિથિએ કરવાનું ___ त्व) alsgunj, मयप.
એક વ્રત. (આ પાંચ દિવસો ભીષ્મ માટે પવિત્ર भीरुपत्रिका, भीरुपत्री स्त्री. (भीरुपत्री+स्वार्थे क+टाप् भनाय छे.)
ह्रस्वः/भीरूणीव पत्राण्यस्याः ङीप्) शतमूी वनस्पति. भीष्मरत्न न. (भीष्मं भयानकं रत्नम्) हिमालयन भीरुष्ठान न. (भीरोः स्थानम्) बी.एन स्थान. ઉત્તર પ્રદેશમાં ઉત્પન્ન થતું એક રત્ન. भीरुहृदय पुं. (भीरु हृदयं यस्य) भृL. (त्रि.) 40. भीष्माष्टमी स्त्री. (भीष्मस्य अष्टमी, भीष्मनाशिका अष्टमी हृयवाj. (न. भीरु च तत् हृदयं च) भयभीत वा) भीमनो हेडत्या हिवस-डा. सु६ माम.
भुक्त त्रि. (भुज+कर्मणि क्त) मा ४२८, माधेल. भीरुसुता स्त्री. (भीरुः सुतो यस्याः) al® वियायेदी (न. भुज्+भावे क्त) मोन, मक्ष, भोगगाय.
मनुप्रभृतिभिर्मान्यैर्भुक्ता यद्यपि राजभिः-रघु० ४।७। भीरू, भीलू स्त्री. (भीरु+स्त्रियामूङ्/रलयोरभेदः) 40.54 ___-आसितं शयितं भुक्तं सूत ! रामस्य कीर्तय-रामा०
स्त्री- त्वं रक्षसा भीरू यतोऽपनीता-रघु० १३।२४ । २।५८।१२। भीलु, भीलुक त्रि. (बिभेति, भी+क्लु/भी+क्लुकन्) भुक्तभोग त्रि. (भुक्तः कृतो भोगो येन) ले भी 40.581, भयभीत, आय२.
કર્યો હોય તે.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838