Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 2
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
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१५९६ शब्दरत्नमहोदधिः।
[ब्रह्मरात-ब्रह्मशिरस ब्रह्मरात, ब्रह्मराति पुं. (ब्रह्म तज्ज्ञानं रातं यस्मै) | ब्रह्मवादिनी (स्री.) ॥यत्री- आयाहि वरदे देवि ! શુકદેવ, યાજ્ઞવક્ય મુનિ.
___यक्षरे ब्रह्मवादिनि ! - गायत्र्या आवाहनम् । ब्रह्मरात्र पुं. (रात्रेरयं अण, ब्रह्मण: रात्रम्) त्रिना | ब्रह्मवालुक (न.) ते ना. मे. तीर्थ.. શેષ ભાગનું એક મુહૂર્ત.
ब्रह्मवास पुं. (ब्रह्मणो वासः) महा.. ब्रह्मरीति स्त्री. (ब्रह्मवर्णा रीतिः) मे तन पित्तम. ब्रह्मवाहस् त्रि. (ब्रह्मणा मन्त्ररूपवेदेन ऊह्यते, वह+कर्मणि ब्रह्मर्षि पुं. (ब्रह्मा ब्राह्मणः चतुर्मुखतुल्यो वा ऋषिः ___ बा. असिच् णिच्) मंत्री प्राप्त रातुं.
यद्वा ब्रह्म शास्त्रं ऋषति स्मरति, ऋष+इ) पहा | ब्रह्मविद, ब्रह्मवेदिन त्रि. (ब्रह्म शास्त्रं वेत्ति यद-वा सरा षि, शास्त्रनु स्म२५८ ४२ना२- ब्रह्मर्षिशब्दमतुलं ब्रह्मस्वरूपतया वेत्ति आत्मानं, विद्+क्विप्/ब्रह्म वेत्ति, रवार्जितैः कर्मभिः शुभैः । यदि मे भगवन्नाह ततोऽहं आत्माऽभेदेन, विद+णिनि) ही अने सामानी विजितेन्द्रियः-रामा० (पुं. ब्रह्मणः वेदस्य ऋषिः) सत ना२, २त्रने ना२. (पुं.) विष्ण. વેદદ્રષ્ટા ઋષિ સમુદાય.
ब्रह्मविद्या स्त्री. (ब्रह्मणः ब्रह्मविषयिणी या विद्या) GAuन, ब्रह्मषिदेश पु. (ब्रह्मर्षाणां देशः वासयाग्यस्थानम्) २क्षत्र- श्व२ विषय विज्ञान- त्वं ब्रह्मविद्या विद्यानां महानिद्रा भस्त्य-पंयास-शुसेन से देशो.
च देहिनाम्-महा०६।२२।२७। ब्रह्मलक्षण न. (ब्रह्मणः लक्षणम्) मनु-Gallstk | ब्रह्मविवर्द्धन न. (ब्रह्मणाम् तप आदीनां विवर्द्धनम्, सक्ष.
वृध+णि+भावे ल्युट) सह-त५. वगैरेनी अतिशय ब्रह्मलोक पुं. (ब्रह्माधिष्ठितो लोकः) सत्यता, मानो.
वृद्धि. (पुं. ब्रह्मणा तपसा विवर्द्धनः) वि. ___es. (पुं. ब्रह्मैव लोकः) तुरीय प्रह. २५३५.
ब्रह्मवृक्ष पुं. (ब्रह्माख्यया प्रसिद्धो वृक्षः) मनु ब्रह्मवत् त्रि. (ब्रह्म+मतुप्) वेनुं न यशवनार.
झाउ, 64शन जाउ. ब्रह्मवर्चस न. (ब्रह्मणा वेदाध्ययनेन वर्चः अच् समा.) |
मा.) | ब्रह्मवृत्ति स्त्री. (ब्रह्मणः विप्रस्य वृत्तिः जीवनोपायः यद्वा વેદાધ્યયનથી ઉત્પન્ન થયેલું તેજ, બ્રહ્મતેજ.
__ ब्रह्मणि ईश्वरे वृत्तिः) नामानी मावि.51, यैतन्य ब्रह्मवर्चस्विन् त्रि. (ब्रह्मणो वर्चः समासान्तविधेरनित्यत्वात्
ઈશ્વરરૂપ અંતઃકરણની વૃત્તિ. न अच्, अस्त्यर्थे विनि) शास्त्राध्ययनथी. उत्पन्न थयेदा ते४वाणु, ब्रह्मतेवाणु- ऋषयो दीर्घसन्ध्यत्वाद्
ब्रह्मवेद पुं. (ब्रह्मणो वेदः ज्ञानम् ब्रह्मप्रतिपादको वेदो
वा) बहान, वहान्त- प्राणायामः परं ब्रह्म परमात्मा दीर्घमायुरवाप्नुयुः । प्रज्ञा यशश्च कीर्तिश्च ब्रह्मवर्चसमेव
चतुर्मुखः -गीतासारः ।। च -मन० ४।९४। ब्रह्मवर्त्त पं. (ब्रह्मणो वत्तों वर्त्तनं यत्र) बहावत देश
ब्रह्मवेदि पुं. (ब्रह्मणो वेदिरिव) ते. नामनी मे. देश-सरस्वती दृशद्वत्योर्मध्यगतोऽयं प्रदेशः-शब्दरत्नावली।
४२क्षेत्रमा छ- ब्रह्मवेदिः कुरुक्षेत्रे पञ्चरामहदान्तरम्ब्रह्मवर्द्धन न. (ब्रह्मा वेधो रूपमिव वर्द्धते, वृध+ल्यु)
अभिधानचिन्ता० ४।१६।
ब्रह्मवैवर्त न. (विवृत्तिरेव विवृत्ति+अण, ब्रह्मणो वैवतम्) dig. ब्रह्मवाटीय (पु.) ते नमनी मे. मुनि
તે નામનું એક મહાપુરાણ. ब्रह्मवाद पुं. (ब्रह्मणः शास्त्रस्य वादः) व५6,
ब्रह्मव्रत (न.) २ वर्षनु मे. प्रत. शास्त्राध्ययन. (पुं. ब्रह्मणः निर्णयाथो वादः) बहाना
ब्रह्मशल्य पुं. (ब्रह्मैव सूक्ष्मं शल्यं कण्टकाग्रं यस्य) ते. तत्यनानिए[य. माटे वाह-बीस ते- बृहस्पतिर्ब्रह्मवादे
नामनु मे वृक्ष. आत्मवत्वे स्वयं हरिः-भाग० ४।२२।६२।
| ब्रह्मशाला (स्त्री.) ते. नामे में तीर्थ, शास्त्र, भवानी ब्रह्मवादिन् पुं. (ब्रह्म शास्त्रं वदति, वद्+णिनि) ४२.६ पानी 46 ४२नार, ३६५163. (पुं. ब्रह्म शुद्धं ब्रह्मशासन न. (ब्रह्मणः शासनम्) २४त्रनी. मा. चतन्यं सर्वात्मकतया वति, वद्+नि) ईश्वरवाही,
(न. ब्रह्मण: शासन निर्णयो उपदेशो वा यस्मिन्) ... छ तेनियन latो. (न. ब्रह्म
બ્રહ્મ સંબંધી વિચાર જ્યાં થાય તે સ્થાન, બ્રહ્મોપદેશનું शुद्ध चैतन्यं वदति बोधयति वद्+नि) शुद्ध चैतन्य
स्थान. ઈરબોધક શાસ્ત્ર.
ब्रह्मशिरस (न.) ते. नामनु मे. मस्त्र..
शा
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