Book Title: Samyag Darshan Part 04
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
View full book text
________________
www.vitragvani.com
38]
[सम्यग्दर्शन : भाग-4
IS अरिहन्त भगवान के निर्णय में केवलज्ञान का निर्णय आया, केवलज्ञान के निर्णय में आत्मा के ज्ञानस्वभाव का निर्णय आया और ज्ञानस्वभाव के निर्णय में केवलज्ञान-सन्मुख का अनन्त पुरुषार्थ आया।
IS सर्वज्ञ परमात्मा अरिहन्त भगवान को जो जीव नहीं पहचानता, वह केवलज्ञान को नहीं पहचानता; और जो केवलज्ञान को नहीं पहचानता, वह आत्मा के ज्ञानस्वभाव को भी नहीं पहचानता; ज्ञानस्वभाव की पहचान बिना उसे कभी धर्म नहीं होता; इसलिए जिसे धर्म करना हो, उसे अरिहन्त भगवान के स्वरूप को भलीभाँति पहचानना चाहिए। ___ अरिहन्त भगवान का और मेरा आत्मा निश्चय से समान है - ऐसा जो जीव पहचाने, उसे ऐसी नि:शङ्कता हो जाती है कि जैसे अरिहन्त भगवान अपने पुरुषार्थ द्वारा मोह का क्षय करके पूर्णदशा को प्राप्त हुए; वैसे मैं भी मेरे पुरुषार्थ के जोर से मोह का क्षय करके पूर्णदशा प्राप्त करनेवाला हूँ। मोह की सेना पर विजय प्राप्त करने का उपाय मैंने प्राप्त किया है।
IS सभी आत्मायें अरिहन्त जैसी ही हैं; अरिहन्त जैसा अपना स्वरूप जो समझना चाहे, वह समझ सकता है।अन्तर के स्वभाव की रुचि और महिमा आये बिना, जीव उसकी प्राप्ति का प्रयत्न नहीं करता। अरिहन्त जैसा अपना स्वरूप जो प्राप्त करना चाहता है, वह अवश्य प्राप्त कर सकता है। उस स्वरूप प्राप्ति के लिये अन्तर्मुखदशा का अपूर्व प्रयत्न चाहिए।
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.