Book Title: Samyag Darshan Part 04
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 202
________________ www.vitragvani.com 186] [सम्यग्दर्शन : भाग-4 दृश्य अद्भुत था। बलि आदि मन्त्रियों ने भी मुनियों के पास जाकर क्षमा माँगी और भक्तिभाव से मुनियों की सेवा की। ___ उपसर्ग दूर हुआ, इसलिए वे मुनि आहार के लिए हस्तिनापुर नगरी में पधारे। हजारों श्रावकों ने अतिशय भक्तिपूर्वक मुनियों को आहारदान दिया; उसके बाद श्रावकों ने भोजन ग्रहण किया। देखो, श्रावकों को भी कितना धर्म प्रेम था! धन्य वे श्रावक और धन्य वे साधु। ___ जिस दिन यह घटना हुयी, उस दिन श्रावण शुक्ला पूर्णिमा थी। विष्णुकुमार मुनिराज के महान वात्सल्य के कारण सात सौ मुनियों की रक्षा हुयी, जिससे यह दिवस रक्षापर्व के रूप में प्रसिद्ध हुआ और वह आज भी मनाया जाता है। मुनिरक्षा का कार्य पूर्ण होने पर श्री विष्णुकुमार ने वेष छोड़कर फिर से निर्ग्रन्थ मुनिदशा धारण की और ध्यान द्वारा अपने आत्मा को शुद्ध रत्नत्रयधर्म के साथ अभेद करके ऐसा वात्सल्य किया कि अल्प काल में केवलज्ञान प्रगट करके मोक्ष पधारे। _[विष्णुकुमार मुनिराज की कथा हमें ऐसी शिक्षा देती है कि धर्मात्मा साधर्मीजनों को अपना बन्धु मानकर उनके प्रति अत्यन्त प्रीतिरूप वात्सल्य रखना चाहिए, उनके प्रति आदर-सम्मानपूर्वक हर प्रकार से उनकी सहायता करनी चाहिए, उन पर कोई सङ्कट आ गया हो तो अपनी शक्ति अनुसार उसका निवारण करना चाहिए। इस प्रकार धर्मात्मा के प्रति अत्यन्त स्नहेपूर्ण बर्ताव करना चाहिए। जिन्हें धर्म का प्रेम हो, उन्हें धर्मात्मा के प्रति प्रेम होता है; धर्मात्मा के ऊपर आया संकट वे देख नहीं सकते।] • Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

Loading...

Page Navigation
1 ... 200 201 202 203 204 205 206 207