Book Title: Samyag Darshan Part 04
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 203
________________ www.vitragvani.com सम्यग्दर्शन : भाग-4] [187 ८. प्रभावना - अङ्ग में प्रसिद्ध __ वज्रकुमार मुनि की कथा अहिछत्रपुर में सोमदत्त नाम के मन्त्री थे; उनकी सगर्भा पत्नी को आम खाने की इच्छा हुई। वह मौसम आम पकने का नहीं था, तथापि मन्त्री ने वन में जाकर खोज की तो सारे वन में एक आम वृक्ष पर सुन्दर आम झूल रहे थे। उन्हें आश्चर्य हुआ। उस वृक्ष के नीचे एक जैन मुनि बिराजमान थे, उसके प्रभाव से वृक्षपर आम पक गए थे। मन्त्री ने भक्तिपूर्वक नमस्कार करके मुनिराज से धर्म का स्वरूप सुना तो अत्यन्त वैराग्यवश उसी समय दीक्षा लेकर मुनि हो गए और पर्वतपर जाकर आत्मध्यान करने लगे। सोमदत्त मन्त्री की स्त्री यक्षदत्ता ने पुत्र को जन्म दिया। वह पुत्र को लेकर मुनिराज के पास गयी, लेकिन संसार से विरक्त मुनि ने उसके सन्मुख दृष्टि न की, अतः क्रोधपूर्वक वह स्त्री बोली-यदि साधु होना था तो तुमने विवाह क्यों किया? मेरा जीवन क्यों बिगाड़ा? अब इस पुत्र का पालन-पोषण कौन करेगा? ऐसा कहकर मुनिराज के चरणों में बालक को रखकर चली गयी। इसी बालक का नाम वज्रकुमार है। उसके हाथ में वज्र का चिह्न था। अरे ! वन में बालक की रक्षा कौन करेगा? । ठीक उसी समय दिवाकर नाम का विद्याधर राजा तीर्थयात्रा करने को निकला, वह मुनि को वन्दन करने आया, और अत्यन्त तेजस्वी उस वज्रकुमार बालक को देखकर उठा लिया। ऐसे पुत्ररत्न की प्राप्ति होने से रानी भी प्रसन्न हुयी। वे उस बालक को अपने Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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