Book Title: Samyag Darshan Part 04
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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उसी प्रकार सिद्ध परमात्मा की परम महिमा । तब अनुभवी धर्मात्मा उसे समझाते हैं कि सुनते हुए साधक-मुमुक्षु को उसकी भावना हे आत्मराम! तू तेरे ज्ञान दर्पण को स्वच्छ करके जागृत होती है... और सिद्ध भगवान के सन्मुख | उसमें देख... तुझमें ही अन्तर्मुख देख तो देखकर बुलाता है कि सिद्ध भगवान ! आप | सिद्धपना तुझे तुझमें ही दिखायी देगा और परम यहाँ पधारो।
आनन्द होगा।
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.
.....साधक को प्रिय सिद्ध
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[सम्यग्दर्शन : भाग-4