Book Title: Samyag Darshan Part 04
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 186
________________ www.vitragvani.com 170] [सम्यग्दर्शन : भाग-4 ५. उपगूहन-अङ्ग में प्रसिद्ध ॐ जिनेद्रभक्त सेठ की कथा पादलिप्तनगर में एक सेठ रहते थे; वे महान जिनभक्त थे; सम्यक्त्व के धारी थे, तथा धर्मात्माओं के गुणों की वृद्धि और दोषों का उपगूहन करने के लिए प्रसिद्ध थे। पुण्य के प्रताप से वे अपार वैभव-सम्पन्न थे। उनके सात मंजिलवाले महल के ऊपर भाग में एक अद्भुत चैत्यालय था, जिसमें रत्न से बनी हुई भगवान पार्श्वनाथ की मनोहर मूर्ति थी, जिसके ऊपर रत्नजड़ित तीन छत्र थे। उन छत्रों में एक नीलम-रत्न अत्यन्त मूल्यवान था जो अन्धकार में भी जगमगाता रहता था। अब, सौराष्ट्र के पाटिलपुत्र नगर का राजकुमार—जिसका नाम सुवीर था तथा कुसङ्ग के कारण जो दुराचारी और चोर हो गया था; उसने एकबार सेठ का जिनमन्दिर देखा और उसका मन ललचाया भगवान की भक्ति से नहीं, परन्तु मूल्यवान नीलम रत्न की चोरी करने के भाव से। उसने चोरों की सभा में घोषणा की कि जो कोई जिनभक्त सेठ के महल में से वह रत्न ले आएगा, उसे इनाम दिया जाएगा। सूर्य नाम का एक चोर यह साहसपूर्ण कार्य करने को तैयार हो गया। उसने कहा - अरे ! इन्द्र के मुकुट में लगा हुआ रत्न भी मैं क्षणभर में ला सकता हूँ, तो इसमें कौनसी बड़ी बात है ? लेकिन, महल में घुसकर उस रत्न को चुराना कोई सरल बात नहीं थी; वह चोर किसी भी प्रकार सफल नहीं हुआ। अन्त में वह Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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