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सूचना
इस ग्रन्थ के शुद्धिपत्रक (पृ० २५१ से २५३) में निदर्शित पाठशुद्धि से अतिरिक्त और भी अशुद्ध स्थानों की पाठशुद्धि इस प्रकार पढ़ें
अशुद्धं
शोधनीयम् शांला
शां (सां)- [शोभा] ला विशालं
विसालं मध्यदेहश्च
मध्यदेह(श)श्च
दुहईहा. दहईया जे. विना
दुईहा जे० पत्थिआ
पत्थिो १३९
शुष्क सुश्रु ना
शुष्क(सुश्रु)ता. वसुधा
व(च) सुधा १५९
साँमिनि
मॉमिनि सामिनि
मामिनि १६८
दलव
दल व २०९
मोहाओ
मोहओ भंग-सि
भंगसि २२२
इति पक्षेन्द्री
पक्षेन्दूि
२२१
इति
प्रस्तावना
श्री. सकते
२०
श्री. सकता नष्ट 'को(लो) कै.
नई
'कोकै
*
ग्रन्थ के मुखपृष्ठ में ग्रन्थ का नाम 'पुहइचंदचरियं' दिया गया है जब कि ग्रन्थ के प्रथम पृष्ठ में ग्रन्थ का नाम 'पुहवीचंदचरियं' और समअंकवाले पृष्ठों के शीर्षक में 'पुहवीचंदचरिए' दिया गया है। उन सभी स्थानों में अनुक्रम से 'पुहइचंदचरियं' और 'पुहइचंदचरिए ' ऐसा सुधार लेने की प्रार्थना है, क्यों कि स्वयं प्रन्थकार ने एवं अन्य ग्रन्थकारों ने इसका, मुखपृष्ठ में मुद्रित 'पुहइचंदचरिय' नाम से ही उल्लेख किया है।
अ. मो. मोजक
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