Book Title: Puhaichandchariyam
Author(s): Shantisuri, Ramnikvijay Gani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 291
________________ २३२ द्वितीयं परिशिष्टम् । ईसर (१५) देव-यक्षाः अंगसिरी सोहम्म भूयरमण (१६) देवलोकाः अणुत्तर महासुक आणयकप्प विजय आरण सुक्ककप्प ईसाणकप्प सोहम्म उवरिमोवरिम हेट्टिमहेहिम बंभलोय (१७) देव्यः आसाऊरिया सरस्सई गंगा सिंधुदेवी जालिणीदेवो (१८) देशाः अवंति पुंड अंग+देस मणिपिंगल उत्तरवह वच्छ वल्हीय किराय वंग कुरु+देस विदेहदेस कोसल संडिन्भ तुरुक सिरिमंगल दक्षिणावह सिधुपार देवनंदि सूरसेण (१९) द्वीपाः अभय महुर कडाहदीव रक्खसद्दीव चीणदीव सिंहलद्दीव जबुद्दोव (२०) नगर-नगरी-ग्राम-सन्निवेशाः अउज्ज्ञा+उरी। कुंभनयर अओज्झउरी । कोसला अयलपुर गजणय आयामुही गयउर-पुर उज्जेणी गयणवल्लह कुंडल गयसीस गंगातीर विजयउर-पुर गंधार विजयनगर चक्कर विजयवद्धण चंदाभा विजयावई चंपा विदेहा जयउर विसालच्छ जयस्थल विसाला तामलित्ती विस्सउरी थाणेसर वीरपुर देवमाल संखउर नंदण साएयपुर । नंदिपुर साकेय पडट्ठाण सागेय+पुर) पउमसंड सावत्थी परमभूसण सिरिउर पुहइपुर सिरिधण पुडउर सिरिमंदिर पोयणपुर सिवी मलय सिधुवद्धण महापुर सुग्गाम महासाल सुग्गीव महुरा+उरी सुनंदण मतियावह सुपइट्ठ मिहिला सुभ रयण उर सुभोम रयणधण सुरसंगीय रायउर सुरसुंदर रायगय सुरहिपुर वसंतउर-पुर सुसम्म वगाल सुसीम (२१) नदी-समुद्राः गगा लवणोयहि भाईरही सिंधु (२४) निम्रन्थकुल जैनधर्मशाके ससिकुल सेयंबर (२५) निर्ग्रन्थाः अमियते रयणायर रवितेय कणयज्झय विजय कमलसेण सम्बदेव कुसुमकेउ संजमसीह कुसुमाउह संतिसरि गुणसागर-सायर सिरिचंद गुणसेहर सिरितेय जयवंत सिहसेण जयनदण सीलंधर धणेस सुदंसण सुमंगल धम्मदेव सुयसागर धम्मवसु सुरगुरु धम्मेसर सुरसुंदर नेमिचंद सुहम्म पठमुत्तर सुहम्मरिसि पुरंदर सुंदर पृथ्वीविधु सूरसेण मुणिचंद हरिसेण (२६) निर्ग्रन्थिन्यः कलावई चंदाभा गुणसिरी सुमंगला (२७) परिव्राजक-कापालिक-विद्यासिद्ध सिद्धपुत्राः चोजडंबर सिरिगुत्त भूयतंत सुसम्म मंतमुत्ति (२८) पर्वताः गंगेयसिरि सुगिरि वेयड्ढ हिमवंत (२९) पल्लीपती कलिंग (२२) नरकाः धूमप्पभा वालुगप्पहा पंकप्पहा सकरप्पभा रयणप्पभा-'पहा (२३) नाणकम् दीणार सेहर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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