Book Title: Puhaichandchariyam
Author(s): Shantisuri, Ramnikvijay Gani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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सुभाषितपद्यानाममुकमः।
२३९
विषयः
घमें
अहिंसायाम
धर्म
पत्रम्-पद्याङ्कः ११०-१०१ १०८- ९१
२- १४
सन्तती
धय
शोले
धमें
४६- ३८७
४३- ३११ निबले देशाटने सतीपीडने अविचारिकायें १६- २१३ आकणनोत्पन्नरागे ३४- ६६ संसारस्वरूपे २०३- २७८ प्रायश्चित्ते १८०- १३४ अदत्तानादाने ११४- ११९ धर्मविवेके २१६- १५७
दुजने
पद्यादिः धम्मस्स ताव मूलं धम्मेण एगछत्तं धम्मेण धणमणतं धावंत-खलंत-पडंतयाई धीरेहिं कायरेहि य न च यइ मेरं सुयणो न जियइ सुहे विहंगो नज्जति चित्तभासा न तहा जणइ अणत्थं न तहा तवेइ तवणो न तहा दिटुसरूवे नमिओ गुरुबुद्धीए न य खलणामेत्तेण वि न य घेत्तब सव्वं न य भोगसुहासाए नरेसु न चिरं थिरा
खयर-किन्नराईसु वा न हि पत्तियंति पावा नाएण जं न सिद्ध नाम पि भवंतरवल्लहस्स नाम पि सुर्य पडिरूवयं निश्चपरिकम्मरम्म नियगरिमगुणेण मुणति नियमच्चाया देहो निग्गंतूण गिहाओ निरएसु तिवदुक्खं निरुवममुहसंताणे नेहस्स फलमिणं चिय नेहेण तिला वि सहति नेहो सारो रइकी लियस्स पच्चुवयारनिरीहा पच्छाइजइ तेओ पजलिओ वि पयाम पडइ अथक्के सव्वत्थ पडिओ अगाहनीरे पढम चिय रोसभरे पणईए जो पसज्जइ परदव्वहरणविरया
[गाथाद्विकम्] परपीडाकरणाओ
भोगासारतायाम १३२- १४१
५२- ५७३ अन्याये ५०-५१४ वल्लमे ७३ - २०१
अनुरागे ६२- २६ नारीवदनासारतायाम् २११-८०
उदात्ते ५१- ५६४ नियम-देहविवेके १३५- २१६
देशाटने १७६-७४ परदार विरमणे ४२- २७९
निवेदे १३६- २३६ कन्यादाने १४२- ५८
स्नेहदोषे २०३- २७३ सद्भाव-स्नेहयोः २००- २११
मुनौ २०१- २३७ असहायपरिहारे १४५- ११६
३३-४४ ७७- २६७
१०८- ८६ कोपनिषेधे २०- ३३१
नीती १९४- ९७
पद्यादिः
विषयः
पत्रम्-पद्याह परमेटिनमोक्वारो
१३५- १९३ परलोयम्मि दरिद्दा
अदत्तादाने ११४- १२२ परिनिन्वविति मेधा
साधूपमाने २०१- २३६ पसयच्छि! रइपियक्खणि! प्रियाविरहे ३५- ७३. पहरइ रणे पुरत्थं
पुण्योदये ९१- १३. पहरते सत्तुगणे
१.८- ८७ पहु सेवहि वाणिज्ज करहि
रयणाया लंघहि अशुभोदये १२०- १४८ पाएण संपओग
समानशीले ५३-६०३ पावं करेइ मूढो
पापकरणनिषेधे १७९- १२८ पाविति सुहं दुक्त्रं [गाथाद्विकम्] शुभा-ऽशुभोदये २४- ३८६ पावेण होइ दुक्त
आत्मघाते २३- ३७५ पासाए वसही मही वसगया
तारं तहतेउर धर्मे ८९- १२५ पियजीवियाण जीवाण
हिसादोषे १७९- १२० पियदसण-धण-जस-जीवियाण सुजनसमागमे ११- १३८ पियपणइगीण पुरओ
शौर्ये ५५- ६५२ पिसियटिभरियभत्या नायूर्वसारतायाम् २१२- ८७ पीइलवो पुण विसए सन्मार्गादरे ६५- ८२ पुत्त-कलत्तं सुहि-सयण
देवे १९२-४९ पुरिसेण माणधणवजिएण दरिद्रे १८२- १५७ पेच्छइ खूणसयाई
रागान्धे १८- २६० पेच्छइ दुद्ध मुद्धो
पापिनि १७९- १२३ पेच्छइ लुद्धो दुद्धं
विषयासक्तौ १.०- २.४ बझंति गइदा पनगा
१५८-३० बझंति मुक्खविहगा
सद्भावे ३९- २०३ बहिरंध-काण-खुज्जा
हिंसादोषे ११०- ११० बभब्बयमइधोर
मोक्षोपाये १५१- २०९ भणिय निच्चं सच्चमेव
सत्ये १११- ११३ भई कुलंगणाणं
शीले १७- २३८ भई ते देव ! जेणं
पियाविरहे ८-८० भई सज्जणचंदण
सुजने ४८- ४३९ भयकायराण सरणं
धीरे १६- २०९ भरियभुवर्णतरेहि वि
गुणग्राहिणि १०- १२५ भरियं भंडागारं
अर्थसञ्चयपरिहारे ५९- ७०९ भिच्चेहि धणं रक्खह आत्मरक्षायाम् ४०- २१३ भुजता महुरा विवागविरसा भोगासारतायाम् १३२- १४. भुत्ता य परिणिभूया संसारस्वरूपे २१५- १५३ भुत्तो छुहाइरेगा
२०३- २७७ भुवणश्चन्भुयभूया
गुणिनि ७३- २०२
शरे
मरणे ध
साता
अदत्तानादाने ११४-१२३,१२४ परपीडा-प्राणहरणयोः १४३-७०
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