Book Title: Prakaran Ratnakar Mool Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai View full book textPage 6
________________ श्री शजय लघुकल्प. अश्मुत्तय केवलिणा, कहिथं सेत्तुंज तित्थमाहप्पं ॥ नारयरिसिस्स पुरओ, तं निसुणह नाव नविया ॥ १॥ सेत्तुंजे पुमरिओ, सिको मुणिकोमीपंचसंजुत्तो । चित्तस्स पुरिणमाए, सो नएण तेण पुमरियो॥२॥नमिविनमिरायाणो, सिका कोमिहि दोहिं साहूणं । तह दविमवाली खिल्वा, निबुधा दसय कोमिओ ॥३॥ पज्जुन्न संब पमुहा, अछुट्ठायो कुमारकोमीयो। तह पंमवा वि पंच य, सिधिगया नारय रिसीय ॥४॥ थावच्चा सुय सेलगा य, मुणिणो वि तह राममुणि । नरहो दसरह पुत्तो, सिका वंदामि सेत्तुंजे ॥५॥ अन्नेवि खवियमोहा, उसना विसालवंससंजूया । जे सिझा सेत्तुंजे, तं नमह मुणी असंखिजा ॥६॥पन्नास जोयणा,बासी सेत्तुंजे विचमो मूले । दस जोयण सिहरतले, उच्चत्तंPage Navigation
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