Book Title: Pradyumna Charitra
Author(s): Dayachandra Jain
Publisher: Mulchand Jain

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Page 14
________________ " (८) मुभा के आगे रोने लगी और उसने दृढ़ संकल्प कर लिया कि यदि कृष्णजी का मेरे साथ सम्बंध न हुआ तो मैं कदापि जीवित न रहूँगी। यह सुन कर भुत्राने उसे धैर्य दिया और तत्काल अपने एक दूत को तमाम रहस्य की बात कह कर तथा एक प्रेमपत्र देकर कृष्णजी के पास रवाना किया। उस ने जाकर रुक्मणी का सारा हाल कह सुनाया और निवेदन किया कि महाराज, आप शीघ्र कुण्डनपुर के प्रमद वन में पधारें, वहां आप को रुक्मणी मिलेगी। उसने दृढ़ प्रतिज्ञा कर ली है कि यदि आप के दर्शन न होंगे तो मैं प्राण त्याग दूंगी। आप निश्चय जानिये, आप के सिवाय वह बाला दूसरा पति कदापि न करेगी। यह सुन कर कृष्णजी ने उसे वस्त्राभूषण देकर विदा कर दिया और आप बल्देव सहित जो वहां पर मौजूद थे गुप्त रीति से रथ में सवार होकर कुण्डनपुर की ओर चल पड़े । वे बहुत शीघ्र प्रमद उद्यान में पहुंच गए और सघन वृक्षों में एक जगह छिप कर बैठ गए । छठा परिच्छेद * FORO सी समय राजा शिशुपाल ने जिसे नारद जी ने दूई डरा दिया था, बहुत बड़ी सेना के साथ कुण्डन Escoss पुर को चारों ओर से घेर लिया जिसके कारण रुक्मणी का प्रमद बन में जाना कठिन होगया।

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