________________
पश्चिमी भारत की यात्रा
अक्षर; देवालय ; सांकेतिक लिपि के शिलालेख; भैरू उछाल; निर्जन चट्टान, खंगार के प्राचीन महल।
३६७-३०८
प्रकरण-१२
लेखक के विचार; गोरखनाथ के शिखर पर चढ़ाई; गिरनार के अन्य शिखर; मुसलमान सन्त, कालिका के मन्दिर की कथा; अघोरी; बनवासी योगी; मन्दिर; जैनों के विविध गच्छ; देवालयों का वर्णन; शिलालेख; नेमिनाथ का मन्दिर; नेमि और मॅमनॉन की प्रतिमाओं में समानता; खंगारवंश; महल के खण्डहरों में एक रात; पर्वत की ढाल; नेमिनाथ मन्दिर के यात्री; वृद्धा यात्रिणी; हाथी-चट्टान ; डेरे पर वापसी।
३८६-४१०
प्रकरण-१६
दादूसर; जिजिरी; काठीवाना; भावर नदी का परिवर्तित मार्ग; तुरसी; कण्डोरना; प्राचीन नगर; भावल, प्रान्त का दयनीय दृश्य ; गूमली ; खण्डहर; जेठयों के मन्दिर; शिलालेख; जेठवों का ऐतिहासिक वृत्तान्त; नगड़ी; देवला; अहीरों की उत्पत्ति; मुकतासर; द्वारका; निर्जन प्रदेश; द्वारका का मन्दिर; देवालय; महात्मा; मन्दिर-विषयक लोककथा ।
४११-४३६
प्रकरण-२०
बीरावल [वेरावल]; प्रारमरा; जूनी द्वारका; गोरेजा [गुरेजा या गुरेचा) यवनों की मजारें; समुद्री लुटेरों के पालिए; बेट अथवा शंखोद्धार; कृष्ण की कथा; बेट के शंख, राजपूतों का रणवाद्य, शंख ; समुद्री लुटेरों का दुर्ग; हिन्दू पोलो, विष्णु के मन्दिर; राजपूत कवयित्री मीरा बाई; समुद्री राजाओं के ऐतिहासिक लेख; चलदस्युमों की सचाई; नाविक घावों की सीमा।
४३७-४५०
प्रकरण-२१
ग्रन्थकर्ता का नौकारोहण; साथियों से विदाई; ग्रन्थकर्ता के गुरु; कच्छ की काठी या खाड़ी; टॉलमी और एरियन द्वारा कच्छ की खाड़ी का वर्णन; रण; माण्डवी की भूमि पर पदार्पण; वहाँ का वर्णन; यात्री; अरबों के जलपोतों में अफ्रीकी कार्यकर्ता; दासप्रथा के अन्त का प्रभाव ; माण्डवी के ऐतिहासिक प्रसंग; समाधियाँ, स्मारक; सिक्के ।
४५१
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org