________________
२६६ ]
पश्चिमी भारत को यात्रा वातावरण कोई विशेष प्रसन्नता न दे सका। बड़ी देर बाद ज्वार उतरने पर पानी लदान की स्थिति में आया, परन्तु, संध्या बड़ी सुहावनी हो गई थी और हमारा बजरा अर्द्धरात्रि तक धीरे-धीरे पानी पर बढ़ता रहा, इसके बाद फिर ज्वार आ गया। 'लंगर डालो' यह आज्ञा हुई। इस नवीन दृश्य को देख कर मैं अपने आपको एक प्रकार से मन्त्रमुग्ध-सा अनुभव करने लगा और इसके प्रभाव से मेरे मस्तिष्क एवं शरीर में एक प्रकार की नवीन स्फूति पैदा हो गई। मेरे सहयात्री कैप्टेन शोर' अपनी वॉयलिन ले आए और मैंने अपनी बाँसुरी उठाई। 'तारामण्डल के मधुर प्रभाव' से प्रेरित होकर हम कुल्हाड़ी से छिले हुए नाव के पृष्ठ भाग पर चढ़ गए और खाड़ी की जल-परियों के साथ धारा-प्रवाह सहगान करते रहे तथा आपस में एक दूसरे की प्रशंसा भी करते रहे ।
प्रातःकालीन शीतल समीर बहने लगा और अट्ठारह घण्टों बाद हमें पीरम द्वीप एवं बारह मील भीतर की ओर फैली हुई पहाड़ियां दिखाई दीं। हम गोगो पर उतरे और जब तक खाडी (रण) के सिरे पर किनारे-किनारे यात्रा करके हमारा भारी असबाब न आ पहुँचा तब तक हमें वहां पर कुछ दिन ठहरे रहना पड़ा। गोगो बन्दरगाह की दशा अब बहुत गिर गई है। यह अब केवल मल्लाहों का निवास स्थान मात्र रह गया है, जो देखने-भालने व शरीर की गठन में बहुत कुछ अरबियों के समान परन्तु सर्वथा भिन्न वर्ग के दिखाई पड़ते हैं। फिर भी, वे हिन्दू हैं और नहरवाला के राजाओं द्वारा पोषित समुद्री जाति के वंशज हैं। नहरवाला नगर में उन्हीं के नाम पर चत्वर बसा हुआ था और बदले में वे विदेशों से सम्पत्ति ला-ला कर यहाँ भरते रहते थे। फिर भी, गोगो में एक प्रकार की गम्भीरता दृष्टिगत होती है। इसकी प्राचीन और धुंधली दीवारें, जिन्होंने कभी इन समुद्रों में भरे पड़े जल-डाकुओं से इसकी रक्षा की होगी, इसको एक प्रकार का गम्भीर एवं आकर्षक स्वरूप प्रदान करती हैं। इसका दक्षिणी मुख, जिधर बहुत सी विभिन्न ऊंचाई की छतरियाँ बनी हई हैं, लम्बाई में बारह-सौ गज से किसी भी प्रकार कम नहीं है-फिर भी, यह पश्चिमी दीवार से बहुत कम है, जिधर यह परकोटा स्पष्ट ही समुद्र के प्राघातों से टूट-ट कर नीचे से नष्ट हो गया है ।
गोगो पहले गोहिल राजपूतों का निवास स्थान था। नगर के दक्षिणपश्चिमीय कोने में एक छोटा-सा किला है, उसी में वे लोग रहा करते थे। यहां के थोड़े-से दर्शनीय स्थानों में एक बावड़ी भी है जिसका सामने का भाग पत्थर की पूठियों का बना हुआ है। इन प्रस्तर-खण्डों पर पानी की टक्कर लग-लग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org