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प्रकरण - १८, गोरक्ष-शिखर
नहीं पा रहे थे तो भी चालीस मील की दूरी पर पट्टण से पोरबन्दर तक उसकी दिशा स्पष्ट थी तथा पचीस मील के भीतर दुरगी, जैतपुर और अन्य स्थान तो साफ-साफ नजर आ ही रहे थे।
गिरिनार के छः प्रसिद्ध शिखर हैं, जिनमें से चार तो समतल भू-भाग में से साफ़-साफ दिखाई देते हैं और ये ही दोनों ओर से इसके आयाम को बढ़ा हुआ बताते हैं क्योंकि पूर्व से देखो या पश्चिम से, यह एक सम्पूर्ण शंकु के आकार का दिखाई पड़ता है। गोरखनाथ-शिखर पर से देखने पर प्रत्येक शिखर ही गौरवपूर्ण लगता है और कुछ तो पचीस मील की दूरी पर भी स्पष्ट दिखाई देते हैं, परन्तु, उससे मागे वे प्रत्येक मील पर धीरे-धीरे पार्थिव-समूह में विलीन होते जाते हैं। अमरेली से पूरा शंकू शिखरों को समान दिशा बताता हुआ दिखाई पड़ता है। गोरखनाथ से देखने पर स्थिति इस प्रकार हैमाताजो का शिखर
पश्चिम में अघोर [ोघड़] शिखर
उ. ७०° पू. गुरुधातृ शिखर
उ. ७०° पू. कालिका माता शिखर रॉई माता
द. ७३° पू. अन्य स्थान हिडिम्बा झूला
द. ७०° पू. जमालशाह का मन्दिर
द. ३०° पू.
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