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पश्चिमी भारत की यात्रा चालू होने से रोकने के लिए उस कानीन पुत्र को 'भायाद' के समस्त हक-हकूक दिलाने की इच्छा बता रहे हैं। इसमें सब से अच्छा और ठीक तरीका समझौते का होगा अर्थात् सरदारों की साधारण सभा उस मृतक के समीपतम वंशज को (चाहे वह कितनी ही पीढ़ियों परे हो) उसका दत्तक पुत्र स्वीकार करे और राज्य इस गोद-नशीनी की स्वीकृति प्रदान कर दे । परन्तु, यह स्पष्ट है कि एक पक्ष ऐसे समझौते को स्वीकार नहीं कर रहा है; और, यद्यपि मूल सिद्धान्त को देखते हुए यह पक्ष सही हो सकता है और दूसरी राजपूत रियासतों की परम्परा का हवाला देते हुए वे लोग अपने वाद का समर्थन भी कर सकते हैं, फिर भी, जाड़ेचों में और उन अन्य राजपूतों में कोई समानता नहीं है, इसलिए चालू अमलदर-प्रामद [परम्परा] को तोड़ने के लिए यह दलील पर्याप्त नहीं है; किसी भी दशा में, इस प्रश्न का हल जाड़ेचों के सिद्धान्तानुसार ही निकलना चाहिए और वह भी निर्णायक के प्रथवा मध्यस्थ के रूप में ब्रिटिश अधिकारियों से मुक्त होना चाहिए।
कच्छ में बांटा' या विभाजन की प्रथा उस हद तक चली गई है कि उसने विनाश का मूलभूत रूप ही ले लिया है; क्योंकि मनु के अनुसार जब सभी लड़के पिता की जायदाद के समानरूप से उत्तराधिकारी होते हैं (यद्यपि सब से बड़े के लिए एक प्रकार की मजोरत (majorat) सुरक्षित रहती है) और प्रत्येक को उसका 'बाँटा' मिलना ही चाहिए तो फिर अङ्कगणित के नियमों से ही यह तय हो सकेगा कि समस्त जाड़ेचों के अन्तविभाग कहां जाकर रुकेंगे
और उनमें से प्रत्येक के हिस्से में, यदि उनकी ही भाषा का प्रयोग करें तो, 'भाले की नोंक टिके इतनी-सी जमीन रह जायेगी।' इस राजनीतिक भूल का मूल एक ही महान् नैतिक अपराध में है और 'बांटा' के सर्वोच्च नियम का पालन करते हुए खानदानों को नष्ट होने से बचाने के लिए ही प्रकृति अथवा परमात्मा के पहले नियम को अवहेलना की जाती है, जिसका परिणाम यह है कि बालवध की कुप्रथा केवल बच्चियों तक ही सीमित नहीं रही है ।' यदि ब्रिटिश सरकार, यह समझाते हुए कि इस प्रकार के अन्तहीन विभाजन से सामान्य हितों को कितना खतरा है, इस प्रकार की लावारिस (स्वत्वहीन) सम्पत्तियों का कुछ राज्य द्वाग और कुछ भायाद द्वारा ग्रहण करने का समझौता-पूर्ण कानून
'मिस्टर एल्फिस्टन ने, जिनकी टिप्पणियों के मैंने अनेक उद्धरण दिए हैं, अपनी 'कच्छ की रिपोर्ट में इस बात का समर्थन किया है और कहा है कि इसी कारण कितने ही घरों में एक मात्र पुरुष उत्तराधिकारी पाया जाता है।
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