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१५; बैबला का काठी सरदार
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तीन बिन्दु एक त्रिकोण बनाते हैं जो प्रायद्वीप के पूर्वीय, दक्षिणी र पश्चिमी सुदूर भागों तक फैला हुआ है और यदि किसी भी दिशा में वह थोड़ा भी आगे निकले तो घोड़ा और घुड़सवार दोनों ही समुद्र में जा पहुँचें। थोड़ा और बढ़ावा दे कर यह पूछने पर कि यह क्षेत्र तो बहुत सीमित है, क्या कभी उत्तरी भाग में प्रयत्न नहीं किया गया ? तो उन्होंने उसी सादगी के ढंग और व्यङ्ग्यात्मक लहजे में उत्तर दिया- 'क्यों, मैंने अहमदाबाद की पोळ तक में अपना भाला जा टेका है ।' बस, मुझे इससे अधिक कुछ नहीं पूछना था । देवला के ठाकुर जेसाजी और उसके एक दर्जन साथियों ने, जिनकी भूमि एक अच्छी सी विशाल जायदाद से अधिक नहीं थी, गुजरात की राजधानी का मानभंग कर दिया था । अध्ययन के समय मेरे मस्तिष्क पर स्थिर प्रभाव डालने वाला रूपक, जिसे इन दृश्यों ने जन्म दिया था, मुझे याद आ गया - वह था श्रादिम जातियों द्वारा उत्तरी इटली की लूट । जेसा काठी की विशेष प्रकार की मूर्ति की समानता लाङ्गोबाई जातीय अल्बोइन ( Longobard Alboin ) ' से की जा सकती है जो उसकी सफल शक्ति का प्रमाण उपस्थित करती थी ।
प्रकरण
एलबोइन की जाति का ही एक अन्य व्यक्ति भी इसी उपमा के लिए और इसी उद्देश्य के लिए हमारे सामने है । जब जार-साम्राज्य के संस्थापक रूरिक ( Rurik) का उत्तराधिकारी पहली बार अस्सी हज़ार सेना ले कर बोरिस्थिनीज़ ( Borysthenes ) को पार कर के राजधानी पर (जो अब तक भी आकांक्षा का स्थल बनी हुई है) हमला कर के गया तो नगर की पराजय और अपनी विजय के चिन्ह स्वरूप 'उसने बाइजेण्टिग्रम (Byzantium ) के दरवाजे पर अपनी ढाल कीलों से जड़वा दी थी तथा वहाँ के बादशाह को उसने एक संधि करने के लिए विवश कर दिया था, जिसमें विजेता के वाराञ्जिअन (Varangian) रक्षकों ने अपने शस्त्रों और ढालों की शपथ ली थी।' इस कथा से हमें केवल विजय के वृत्तान्त का आलंकारिक साम्य ही नहीं ज्ञात होता वरन् शपथ लेने का एक विशेष प्रकार भी सूचित होता है जो स्वरूप में विशुद्ध राजपूती है और साधारणतया जंगल के निवासी प्रत्येक काठी के मुँह से सुनने को मिलता है । परन्तु,
Longobard (अथवा Long beard-लम्बी दाढ़ी वालों की) जाति एल्ब Elbe नदी के तटीय उपजाऊ मैदानों में रहती थी। इस शब्द का इटालिअन रूपान्तर Lombard है । इनके बादशाह Alboin (एल्बोइन) ने ५६८ ई० में इटली पर प्राक्रमण कर के लुटपाट की थी । ५७३ ई० में वेरोना (Verona ) नामक स्थान पर उसकी हत्या कर दी गई। —E.B., Vol. XIV; p. 813.
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