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प्रकरण - १० अणहिलवाड़ और अजमेर का युद्ध [ २१५ . सेनाएं आमने सामने होती हैं और कवि को प्रतिभा चमक उठती है। वह कहता है "चन्द के लिए धर्मक्षेत्र सामने था, सुरलोक का मार्ग यात्रियों से भर गया था और अमरत्व पर अधिकार कर लिया गया था।" बहुत लम्बे समय तक घमासान युद्ध हुआ। जब युवक चौहान ने शत्रुनों से युद्ध किया तो दोनों ओर के बहुत से वीर काम आए, जिनके नाम और पराक्रम का उल्लेख है।
एक पहर' तक वीरों के शिरस्त्राणों पर तलवारें बरसती रहीं; कवचों के टुकड़े-टुकड़े हो गए। सरस्वती नदी में रक्त की बाढ़ आ गई। योगिनियों ने रणक्षत्र में से अपने खप्पर भर लिए और पलचरों (Palacharas) की कामना पूर्ण हुई। पृथ्वीराज ने शत्रु को देखा और घोड़े की बागडोर खींच कर उसे आगे बढ़ाया। पृथ्वी डर से काँप उठी। संसार के संरक्षक [दिकपाल ] अपने अपने स्थानों से भाग गए। देवताओं को कंप-कैंपी छूटी। उसका हाथ स्वर्ग तक ऊंचा उठा हुआ था और जब उसका धनुष खिच कर गोलाकार हो जाता था तो फिर उससे कौन बच सकता था ? शिव को समाधि टूट गई और जब चौहान और चालुक्य युद्ध में भिड़ गए तो उनके हाथ से माला गिर पड़ी। प्रत्येक योद्धा की तलवार बिजली के समान चमक रही थी, बीजलसर के वार हो रहे थे । आमने-सामने होते ही पृथ्वीराज ने कहा, "भीम ! तेरा अन्तिम समय पा गया है, सम्हल जा!" भीम ने कहा, "मैं तुझे सोमेश्वर के पास भेजता हूँ।" पृथा ने लपक कर वार किया और उसकी तलवार भीम के गले पर वहाँ पड़ी जहाँ जनेऊ सुशोभित थी; गिरते समय उसने [ भी ] पृथ्वीराज के ललाट पर टीका कर दिया । देवगण ने 'जय-घोष' किया और अप्सराओं के विमानों से रणक्षेत्र पर छाया हो गई। स्वामी के गिरते ही चालुक्य-सेना के पर उखड़ गए।"
भाट ने भीम के सद्गुणों का वर्णन किया है । वह आगे कहता है-वह देवविमान में बैठ कर शिवपुर को चला गया। परन्तु, यह विजय पृथ्वीराज को
' दिन का चतुर्थाशा २ अहिलधाड़ा में हो कर बहने वाली नवी । ३ बीजलसर का अर्थ है बिजली का सार । राजपूत योद्धा अपनी प्रिय तलवार के लिए प्रायः
इसी नाम का प्रयोग करते है। ४. पृथ्वीराज को बीजलसर भी अरिप्रॉस्टो (Ariosto) के बॅलीसारडा (Balisarda) की
तरह प्रसिद्ध थी। अरिऑस्टो (१४७४-१५३३ ई०) इटनी निवासी कवि था। उसका Orpando Furio नामक काव्य प्रेम गाथा और वीर-वर्णन के लिए प्रसिद्ध है।
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