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प्रकरण • ८; परब यात्रियों को भूलें
[ १७१ नाम की रचना का मूल हो सकता है। नयर (Nyr) अथवा अणहिलवाड़ा का प्राकारयुक्त नगर 'कालीकोट' अथवा काली का दुर्ग कहलाता था और अब भी कहलाता है। इसी तथ्य के अज्ञान में अनुवादक ने बल्हरा राजानों को काली मिर्च का संग्रह करने के लिए भारतीय प्रायद्वीप के हृदय में भेजना आवश्यक मान लिया होगा। इन अनुवादों (प० २४) में से एक और विचित्र बात का उल्लेख करके में इस टिप्पणी को समाप्त करता हूँ। इस सूचना के विषय में किसी आधार का उल्लेख नहीं किया गया है :___ हमारे लेखकों ने अरबों के प्रति सहृदय होने के कारण बल्हरों की जो प्रशंसा की है वह इन राजाओं के विषय में बहुत अनुकूल बैठती है क्योंकि इनमें से अन्तिम राजा सरमा पायरीमल (Sarama Payrimal) मुसलमान हो गया था और उसने अपने अन्तिम दिन मक्का में बिताए थे।'
. विल्सन का मैकेजी कलेक्शन जि० १; पृ० xcvii
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