Book Title: Panchsangraha Part 03
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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________________ धर्मप्रेमी गुरुभक्त सुश्रावक स्व. श्रीमान पारसमलजी मुथा (रायचूर) श्रीमान पारसमलजी साहब मुथा मूलतः मौदलिया निवासी थे। आपके पिता श्रीमान हस्तीमलजी साहब मुथा बड़े ही धार्मिक व प्रभाशाली व्यक्ति थे। पिता श्री के धार्मिक संस्कार आप में भी प्रादुर्भूत हये। आप धर्म एवं समाज-सेवा दोनों ही क्षेत्रों में सदा सक्रिय रहे। खूब उदार हृदय से दान देना, समाज सेवा करना, तथा अन्य शुभ क्षेत्रों में लक्ष्मी का सदुपयोग करना आपकी सहज वृत्ति थी। आप हृदय से बहुत ही सरल, स्वभाव से विनम्र, और गुरुदेव श्री के प्रति अत्यन्त भक्तिमान् थे / स्व. गुरुदेव श्री मरुधरकेसरीजी महाराज के प्रति आपकी अत्यन्त श्रद्धा भक्ति थी। मरुधरकेसरी गुरु-सेवा समिति के आप अध्यक्ष भी रह चुके थे। आप दोर्घकाल तक रायचूर संघ के सभापति रहे, अ. भा. श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस के भी आप पदाधिकारी रहे तथा अनेक सामाजिक संगठनों के आप अधिकारी पद पर रहे। रायचूर (कर्नाटक) में आपका व्यवसाय है। मै० कालूराम हस्तीमल नाम से आपकी फर्म की दूर-दूर तक प्रसिद्धि है। ___आपकी तरह आपकी संतान भी दान, समाजसेवा एवं गुरुभक्ति में अग्रणी है। अनेक साहित्य प्रकाशन कार्यों में आपका महनीय सहयोग मिलता रहा है। प्रस्तुत प्रकाशन में भी आपके परिवार की तरफ से पूर्ण अर्थ सहयोग मिला है / धन्यवाद ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org