Book Title: Panchsangraha Part 01
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 247
________________ जीवस्थानों के तीस भेद पृथ्वी काय जलकाय तेजस्काय वायुकाय वनस्पतिकाय द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय X २ बादर - सूक्ष्म x २ अपर्याप्त पर्याप्त × २ X R × २ ×२ × २ × २ ×२ × २ X २ अपर्याप्त - पर्याप्त × २ ×२ चतुरिन्द्रिय असंज्ञी पंचेन्द्रिय x २ संज्ञी पंचेन्द्रिय ×२ 33 37 Jain Education International 33 "" 17 33 " 11 जीवस्थानों के बत्तीस भेद ― पृथ्वीकाय जलकाय तेजस्काय 31 " 11 11 33 " 77 37 "" " " " 23 33 37 " "} X २ अपर्याप्त - पर्याप्त ×२ ×२ ×२ चतुरिन्द्रिय असंज्ञी पंचेन्द्रिय x २ संज्ञी पंचेन्द्रिय × २ "J X २ बादर - सूक्ष्म X २ अपर्याप्त - पर्याप्त × २ X R × २ XR ×२ ×२ वायुकाय साधारण वनस्पति X २ ×२ प्रत्येक वनस्पति द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय 31 33 21 33 33 " "J 17 37 " 33 " 11 33 11 31 33 For Private & Personal Use Only 13 11 37 31 33 17 31 पंचसंग्रह ( १ ) ⠀⠀⠀⠀⠀| || || || || || ¥ ¥ ܡ ܡ ܡ ܡ ܡ - = ४ | || || || || || Ꭳ ३० ४ o ~ WW ३२ www.jainelibrary.org

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