Book Title: Panchsangraha Part 01
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह (१)
वेदक-क्षायोपशमिकसम्यग्दृष्टि और क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीवों के सभी योग और मिश्र अर्थात् सम्यमिथ्यादृष्टि वाले जीवों में अपर्याप्त कालसम्बन्धी मिश्रत्रिक और आहारकद्विक को छोड़कर शेष दस योग पाये जाते हैं।
संज्ञीमार्गणा की अपेक्षा संज्ञी जीवों के सभी योग और असंज्ञी जीवों में कार्मणकाययोग, औदारिकटिक और अन्तिम वचनयोग (असत्यामृषावचनयोग) ये चार योग होते हैं। __ आहारमार्गणा की अपेक्षा आहारक जीवों में कार्मणकाययोग को छोड़कर शेष चौदह योग पाये जाते हैं और अनाहारक जीवों में मात्र कार्मणकाययोग ही पाया जाता है।
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