Book Title: Panchsangraha Part 01
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 258
________________ योगोपयोगमार्गणा-अधिकार : परिशिष्ट २ १७ पर्याप्ति, इन्द्रिय के योग्य पुद्गलों से इन्द्रियपर्याप्ति, भाषा के योग्य पुद्गलों से भाषापर्याप्ति, श्वासोच्छ्वास के योग्य पुद्गलों से श्वासोच्छ्वासपर्याप्ति और मन के योग्य पुद्गलों से मनपर्याप्ति की निष्पत्ति सम्भव है । इन्द्रियपर्याप्ति आदि के लक्षण इस प्रकार हैं--- 'त्वगादीन्द्रिय-निर्वर्तनक्रियापरिसमाप्तिरिन्द्रियपर्याप्तिः'-त्वक्-स्पर्शनेन्द्रिय और आदि शब्द से रसन, घ्राण, चक्षु, श्रोत्र और मन । अतः उनके स्वरूप को उत्पन्न करने वाली क्रिया की परिसमाप्ति इन्द्रियपर्याप्ति है। - 'प्राणापानक्रियायोग्यद्रव्य ग्रहण-निसर्गशक्ति निर्वर्तनक्रियापरिसमाप्ति प्राणापानपर्याप्तिः'-उच्छ्वास और निःश्वास की क्रिया के योग्य श्वासोच्छ्वासवर्गणा के द्रव्य को ग्रहण करने और छोड़ने की शक्ति-सामर्थ्य को उत्पन्न करने की क्रिया की परिसमाप्ति को श्वासोच्छ्वासपर्याप्ति कहते हैं। इसी प्रकार भाषापर्याप्ति का लक्षण है। वहाँ भाषायोग्य पुद्गलों के ग्रहण व छोड़ने की क्रिया जानना चाहिए। _ 'मनस्त्वयोग्यद्रव्यग्रहणनिसर्गशक्तिनिवर्तनक्रियापरिसमाप्तिमनःपर्याप्तिरित्येके'-मनरूप में परिणमन के योग्य मनोवर्गणा के द्रव्य को ग्रहण करने और छोड़ने की सामर्थ्य को उत्पन्न करने की क्रिया की परिसमाप्ति वह मनपर्याप्ति है---ऐसा कोई आचार्य इन्द्रियपर्याप्ति से अलग मनपर्याप्ति मानते हैं और इन्द्रियपर्याप्ति के ग्रहण द्वारा मनपर्याप्ति का ग्रहण नहीं करते हैं । परन्तु मनपर्याप्ति को कोई मानते हैं और कोई नहीं मानते हैं यह नहीं समझना चाहिए। 'आसां युगपदारब्धानामपि क्रमेण समाप्तिः, उत्तरोत्तरसूक्ष्मतरत्वात् सूत्रदार्वादिकर्तनघटनवत्'-ये छहों पर्याप्तियां युगपत् प्रारम्भ होती हैं, परन्तु अनुक्रम से समाप्त होती हैं। अनुक्रम से समाप्त होने का कारण यह है कि उत्तरोत्तर सूक्ष्म हैं । जैसे कि आहारपर्याप्ति से शरीरपर्याप्ति सूक्ष्म है, क्योंकि वह बहुत से सूक्ष्म द्रव्यों के समूह से बनी हुई है, उससे इन्द्रियपर्याप्ति अधिक सूक्ष्म है, उससे भी श्वासोच्छ्वासपर्याप्ति सूक्ष्म है, उससे भाषापर्याप्ति सूक्ष्म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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