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श्री नवकार महामंत्र-कल्प सहायक ढूंढता है, मंत्रसे यथाविधि जाप करनेपर अधिष्टायक देव आकर्षक होते हैं, इसी लिए मंत्रका नाम सुनतेही चमत्कार दीखता है और मनुष्य आराधना करता है।
स्तोत्र पाठमें महिमाका वर्णन होता है जिससे देवकी शक्ति कला प्रतिभा जाननेमें आती है और इतना जाननेसे देवके प्रति प्रेमभाव पुज्यभाव होता है देवकी शक्तिका मूर्तिमंत दृष्टान्त सामने खडा हो जाता है और वारवार यथाविधि स्तोत्र पाठ करनेसे स्तुतिके कारण देव प्रसन्न होते हैं, इसी लिए स्तोत्रका पाठ मनुष्य बहुत चावसे करता है।
स्तवना में गुणानुवाद आता है जिसके कारण स्तवना करने वालेकी आत्मा पर गुणका असर होता है और आत्मा इस तरहके गुणानुवाद करते करते गुणी बन जाता है इसी लिए मानवी स्तवन-भावना बहुतही प्रेमके साथ लयलीन हो करता रहता है ।
उपरके तीनों विधान जैन समाजमें प्रचलित हैं और बहुधा वालपनसेही इसका अभ्यास जारी हो जाता है। यहां मंत्र विधानका सम्बन्ध है, इस लिए