Book Title: Navkar Mahamantra Kalp
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 40
________________ ३२ श्री नवकार महामंत्र - कल्प जिसका अद्भुत चमत्कार है क्यों कि नवकार मंत्रके पांचो पदका इसमें समावेश है, इस लिए जो इसका ध्यान किया करते हैं उनको यह आवर्त्त बहुत उपयोगी माना गया है, जिसको गिनते हुवे प्रथम मध्यमा के मध्यका पेरवां, दूसरे अनामिका के मध्यका, तीसरा अनामिका के उपरको, चोथा मध्यमाके उपरका, पांचवां तर्जनीके उपरका, छट्टा तर्जनीके मध्यका सातवां तर्जनीके नीचेका, आठवां मध्यमाके नीचेका नौवां अनामिका के नीचेका दशवां कनिष्टाके नीचेका ग्यारहवां कनिष्ठाके मध्यका और बारहवां कनिष्टाके उपरका इस तरह इन बारहको नौ वार गिनते हुवे एक माला पुरी होती है, और जितने जाप होते हैं उतनाही आलेखन ॐ का उङ्गलियोंके पेरवों पर होता जाता है इसी लिए ॐ के जो उपा सक हैं वह इस आवर्त्त से जाप किया करते हैं और ॐ के जापका वर्णन करना तो शक्तिसे बाहर है । इसी आवर्त पर दूसरे मंत्रकी या और कोई साधनाकी माला गिनी जाय तो बहुत ही लाभदाई है, विशेषमें आवर्त्तके विधानका चित्र आपके सामने है सो देख लेवें ।

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