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श्री नवकार महामंत्र-कल्प भावार्थ-मनुष्यके निर्मल देहमें दोनों नेत्र, दोनों कान, नासिका, ललाट, मुख, नामि, मस्तक, हृदय, तालु, और दोनों भ्रकुटीका मध्यभाग, इन दशको ध्यान करने के स्थान बताए गए हैं, इस लिए इन दशमेंसे चाहे किसी एकके विषे विकार रहित होकर ध्यान करे तो बहुत ही उत्तम है । इस ध्यानको इन दश स्थानमें किस तरहसे जमाना चाहिए इसका विवरण जो ध्यान करनेके अभ्यासी हों उनके साथ रहकर सीखना चाहिए इसमें गुरुगमकी विशेष आवश्यकता है।
सिद्धावर्त प्रकरण
सिद्धात्मा और चोवीस जिन भगवानके ध्यानकी तरकीब इस आवर्त द्वारा इस तरहसे बताई गई है कि, दोनों हाथोंको सामने खुले रखकरदोनों हाथोंकी आयुष्य रेखाको मिलावे वरावर मिलाने के बाद उसको सिद्धशिलाकी भावनासे देखे और आठों उङ्गलियोंके चोवीस पेरवोंको चोबीस जिन भगवानकी स्थापनासे देखे और वाकी जगहमें सिद्धात्मा समझ