Book Title: Navkar Mahamantra Kalp
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 89
________________ ८० श्री नवकार महामंत्र कल्प लोकको पवित्र करनेवाला पञ्चपरमेष्टि नमस्कार मंत्रका निरन्तर चिन्तवन करना चाहिए योगी पुरुषोंको और भय भीरु आत्मा के लिए तो यह रत्नचिन्तामणीके समान है, क्योंकि इसमें पञ्चपरमेष्टिका समावेश है इसी लिए कहा है कि पप पञ्च नमस्कारः । सर्वपापप्रणाशनं ॥ मङ्गलानां च सर्वेषां । प्रथमं जयति मङ्गलम् ॥ पांच परमपदको नमस्कार करनेवालेके तमाम पापोंका क्षय हो जाता है, यह पद इसी लिए सर्व प्रकार के मङ्गलमें पहला मंगल माना गया है । यह महामंत्र है और यह मंत्रपद ॐकार दर्शक है अतः इस ॐ का जो ध्यान करता है उसको मनवाञ्छित फलकी प्राप्ति होती है, इस लिए अंकार शब्द सूचक पञ्चपरमेष्टिको नमस्कार करना कल्याणकारी है। इस पदका ध्यान करनेके लिए जो जो मार्ग बताए हैं उनमें से एक मार्ग यह भी है कि नाभिकमलमें स्थित ॥ अ॥ आकार ध्यावे, ॥ सि ॥ सिवर्ण मस्तककमलमें स्थित ध्यावे, ॥ आ ॥ आकार मुखकमलमें स्थित कर ध्यावे, ॥ ॥ उकार हृदयकमलमें स्थित ध्यावे और Alternatiff plugin for Windows Users and Plugger plugin for Linux Users(

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