Book Title: Navkar Mahamantra Kalp
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Chandanmal Nagori

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Page 108
________________ श्री नवकार महामंत्र कल्प इस प्रकारसे सिद्धियां प्राप्त करनेवाला निर्मल ज्ञान पाता है, और ॐ व अनाहत. ह. का ध्यान करने वालेको तमाम विषयके ज्ञानमें प्रगल्भता प्राप्त होती इसी ध्यानमें अहम्लीकार मंत्रका ध्यानभी बहुत उपयोगी बताया है जो इस तरह पर है। ही. ॐ. ॐ. स. हम्ली. ह. ॐ ॐ. ही.. __ इस मंत्रकी अद्भुत माया है, इसका विवरण करते विशेष खुलासा किया है कि दोनों तरफ दोदो ॐकार और अन्तके भागमें मायावीज ही से वेष्टित करे मध्यमें "सोऽहं” और सिरपर "वि" इस तरहके अहम्लीकारका चिन्तवन करना यह मंत्र गणधर महाराज भापित है और निरवद्य विद्या है जो कामधेनुकी तरह अचिन्त्य फलके देनेवाली व कल्याणकारी है। इसी ध्यानमें षटकोणका एक चक्र बनाया जाय जिसके प्रत्येक कोणमें “फट' स्थापन करना, और दाहिनी तरफ वाहरके भागमें "विचक्राय" स्थापन करना बाई तरफ "स्वाहा" स्थापन कर चिन्तवन

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